रायपुर। सहित प्रदेश के अधिकांश शहर और गांवों में भिखारियों की भीड़ लगातार बढ़ रही है. शहर में भी लगातार भिक्षावृत्ति बढ़ती जा रही है. बच्चे से लेकर नौजवान हष्ट पुष्ट लोग भिक्षावृत्ति में उतर गए है. मेट्रो सिटी के सिग्नल की बात करें तो दिमाग में सिग्नल पर भीख मांगने वालों की तस्वीर दिखने लगती है. अब मेट्रो सिटी की तर्ज पर शहर के सभी चौक चौराहों में लगे सिग्नल पर रुकने और चलने पर आम लोगों को ऐसे भिक्षुओं से दो चार होना पड़ता है. पूरे समय हाथ सामने फैलाकर ये भिखारी खड़े रहते हैं. आपसे बार बार भिक्षा मांगते हैं और कई बार लोग इनसे परेशान भी हो जाते है. राज्य सरकार निशुल्क सुविधाओं के साथ ही कई ऐसी चीजें हैं जो पूरी दे रही है. उसके बाद भी लगातार भिक्षावृत्ति बढ़ती जा रही है.
लूट जैसी घटनाओं को अंजाम
भिक्षुक के वेश में चोर भी घूम रहे: भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के वेश में उठाईगीर और चोर भी शहर में घूम रहे हैं. वो ऐसे मौको का फायदा उठाकर चोरी और लूट जैसी घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं, जिससे आम शहरीय को नुकसान तो होता ही है. पुलिस के लिए भी यह सिरदर्द बनता जा रहा है. पुलिस भी ऐसे लोगों को पकड़ नहीं पा रही है. कई बार ये मौकों का फायदा उठाकर चोरी की घटनाओं को अंजाम देते है और कोई पहचान नहीं होने से ऐसे लोगों का पकड़ में आना भी मुश्किल हो रहा है.
6 लाख की उठाईगिरी को अंजाम दिए थे, भिखारी का वेश धरे चोर गिरोह: कुछ महीने पहले बिलासपुर के सरकंडा थाना क्षेत्र के एक ज्वेलरी शॉप में कुछ बच्चे और महिलाएं भिक्षावृत्ति के लिए पहुंचे थे. वह दुकानदार से भीख मांगने का बहाना कर दुकान के अंदर प्रवेश कर उसे अपनी बातों में उलझा रखे थे और दुकानदार की साइड में रखें बैग को उठाकर ले गए थे. इस बैग में दुकानदार के लगभग 6 लाख रुपए थे, जिसे लेकर चोर गिरोह ट्रेन के रास्ते की ओर भाग रहे थे. चोरों के दुकान से निकलने के बाद कुछ देर बाद ज्वेलरी शॉप के मालिक को बैग के गायब होने का एहसास हुआ, तब उसने दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच की, तो पता चला कि महिलाओं के साथ आए बच्चों ने बैग उठा लिया था और सभी भाग निकले थे. ज्वेलरी शॉप के मालिक ने सरकंडा पुलिस को जानकारी और पुलिस ने उन्हें घेराबंदी कर ओडिशा भागते हुए ट्रेन में पकड़ लिया था।
सरकार को ठोस पॉलिसी बनाकर काम करना चाहिए: शहर की समाज सेविका और एडवोकेट प्रियंका शुक्ला ने कहा कि भिक्षावृत्ति को लेकर सरकारों के पास कोई ठोस पॉलिसी नहीं है. सरकारों को उसके लिए ठोस पॉलिसी बनाने की जरूरत है और पॉलिसी बनाकर इस पर काम भी किया जाना चाहिए, क्योंकि पॉलिसी तो बनती है, लेकिन उसके क्रियान्वयन नहीं हो पाता. ऐसा नहीं है कि भारत में पॉलिसी नहीं है, लेकिन उसका क्रियान्वयन सही ढंग से नहीं किया जाता है. एनजीओ और कई संगठनों को ऐसा काम दिया जाता है, लेकिन वह काम केवल कागजों में होता है, जबकि धरातल पर ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आती. राज्य सरकार और केंद्र सरकार को भिक्षावृत्ति को लेकर ठोस पॉलिसी तैयार करना चाहिए और इस पर क्रियान्वयन सख्ती से करना चाहिए.
उदारता और नवधनाढय़ों की वजह से बढ़ रही भिक्षावृत्ति
शहर के समाजसेवी अनिल तिवारी ने बताया कि भारत उदारवादियों का देश है. यहां लोगो में उदारता है. यही वजह है कि उदारता से लोग गरीब, बेसहारा लोगों को भीख के तौर पर पैसे या अन्य वस्तु देते हैं. पहले काम के बदले अनाज दिया जाता था, लेकिन अब लोगों को सरकार फ्री में चावल, वृद्धावस्था पेंशन और अन्य सामान दे रहे हैं, इसलिए लोगों को फ्री लेने की आदत हो गई है और लोग अकर्मण्य बनते जा रहे हैं. जनता शासन के योजनाओं पर निर्भर होती जा रही है. व्यक्ति या नौजवान अपराध में लिप्त होते जा रहा है. वह अपराध कर रहा है. छोटे-छोटे बच्चे मां-बाप के साथ निकल रहे हैं. बच्चे भीख मांगते हैं. भिखररियों से पूछने पर वह कहते हैं कि जब हमें खाने में फ्री मिल रहा है तो काम क्यों करें. उनका कहना कि हमारा पेशा ही भिक्षा मांगना है, ऐसे लोगों की सोच बदलने की जरूरत है. तभी उन्नत भारत का निर्माण होगा. शासन सचेत हो जाए. भारत भिक्षावृत्ति से मुक्त हो ऐसा कार्य करना चाहिए, तभी एक स्वस्थ्य भारत एक अच्छा भारत का निर्माण होगा।
सभी भिखारी चोर नहीं और चोर भिखारी का रूप धर रहे: स्थानीय निवासी प्रवीण तिवारी ने कहा कि पिछले कुछ समय से भिखारियों को चोर समझा जा रहा ( है. शहर में कुछ एक दो मामले हुए हैं, जिसके बाद से भिखारियों को चोर समझा जा रहा है और उसी नजर से देखा जा रहा है. जरूरी नहीं है कि सभी भिखारी चोर है। सिग्नल में भीख मांगने वाले व्यक्ति को देख कर ही समझ में आता है कि वह चोर नहीं बल्कि मजबूर है. यह बात जरूर है कि इस समय चोर भिखारियों का रूप धर कर रैकी करते हैं और मौका मिलते ही चोरी कर लेते हैं, लेकिन इससे यह साबित नहीं होता कि हर भिखारी चोर है. इसलिए हमें विवेक अपनाकर ऐसे लोगों को सही तरीके से जज करना चाहिए. भिक्षावृत्ति बढऩे के मामले में समाज खुद भी जिम्मेदार है, क्योंकि पिछले कुछ समय से स्थिति ऐसी उत्पन्न हुई है कि लोगों के काम छूट गए हैं और मजबूरन उन्हें भीख मांगने की जरूरत पड़ रही है।
भिखारी बनकर करते थे वारदात पुलिस ने किया गिरोह का पर्दाफाश
जय स्तंभ के पास पुलिस ने सिग्नल पर भीख मांगकर झपटमारी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने तीन आरोपियों – अर्जुन नाथ तूफान नाथ और चांद नाथ को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से चोरी की सोने की अंगूठी बरामद की गई है। शिकायतकर्ता ने बताया कि ट्रैफिक सिग्नल पर बातचीत के दौरान उसकी अंगूठी गायब हो गई थी।
राजधानी में भिखारियों के लिए स्पाट की नीलामी होती है
राजधानी के रिंग रोड, महादेव घाट जय स्तंभ, घड़ी चौक, कोतवाली चौक शारदा चौक, तात्यापारा, मालवीय रोड, बंजारी माता मंदिर गोलबाजार,भनपुरी, खमतराई टाटीबंद, तेलीबांधा वीवीआईपी रोड,मंदिर हसौद, मोवा सड्डू कांपा आमािसवनी, दोंदे तक स्पाट बिकता है। छत्तीसगढ़ में लगातार भिखारियों की संख्या बढऩे लगी है. आंकड़ों में पिछले 10 सालों में भिखारियों की संख्या दोगुनी हो गई है। शहर हो या गांव सभी जगह भिखारी नजर आने लगे हैं। खासकर मेट्रो सिटी के सडक़ों पर बने सिंग्नलों पर जैसे यहां भिखारी भीख मांगते नजर आने लगे हैं। आखिर क्यों बढ़ रही है भिक्षावृत्ति केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से राशन मुफ्त, आवास मुफ्त सहित कई सुविधाओं को फ्री की है. इसके बावजूद भिक्षावर्ति्त लोगों में बढऩे लगी है।

