विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने के नाम पर रिश्वत देने का मामला
रिटायर्ड आईएफएस संजय शुक्ला सहित 35 लोगों के खिलाफ एफआईआर
सीबीआई छापे के बाद पहला एक्शन, राज्य सरकार भी सख्त
रायपुर (जसेरि) । नवा रायपुर के रावतपुरा मेडिकल कॉलेज में इस सत्र अब नए एडमिशन नहीं हो पाएंगे। एनएमसी ने आदेश जारी कर कहा है कि सीबीआई की जांच में शामिल कॉलेजों की मान्यता ना ही रिनुअल होगी, ना ही उनकी सीटों में वृद्धि की जाएगी। जारी आदेश के अनुसार सीबीआई की एफआईआर में शामिल एनएमसी जांच दल के 4 डॉक्टरों को ब्लैक लिस्टेड करने भी कहा गया है। बीते दिनों सीबीआई ने कुछ राज्यों के विभिन्न निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में 35 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें कई शिक्षाविद, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के अधिकारी, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के निरीक्षण दल के सदस्य और कुछ संस्थान के प्रमुख के नाम शामिल हैं। मामले में अभी जांच जारी है। इसी दौरान सोमवार को एनएमसी ने एक आदेश जारी किया है। जारी आदेश के अनुसार सीबीआई की जांच में शामिल एनएमसी के मूल्यांकनकर्ता के रूप में कार्यरत 4 सीनियर डॉक्टरों को ब्लैक लिस्टेड किया गया है। साथ ही जांच में शामिल 6 मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2025-26 के लिए यूजी और पीजी का रिनुअल नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा इन कॉलेजों में सीटों में बढ़ोतरी और नए कोर्स शुरू करने के आवेदनों को भी निरस्त कर दिया जाएगा।
क्या है मामला : दरअसल, नवा रायपुर स्थित श्री रावतपुरा मेडिकल कॉलेज को 250 सीटों की मान्यता दिलाने के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में सीबीआई ने कार्रवाई की थी। इस दौरान 6 आरोपियों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि रावतपुरा सरकार मान्यता दिलाने के नाम पर 55 लाख रुपए की रिश्वत ली गई है। सीबीआई ने पुख्ता सूचना मिलने पर प्लानिंग के तहत जाल बिछाया। इसके बाद कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में 40 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की गई।
रावतपुरा सरकार के खिलाफ एफआईआ के बाद अधिकारी और नेता सहमे हुए
सीबीआई के रडार पर रावतपुरा सरकार के आने बाद छत्तीसगढ़ के अधिकारी और नेता परेशान नजर आ रहे हैं। बाबा फंसे तो उनका क्या होगा? रावतपुरा सरकार सीबीआई की एफआईआर में रावतपुरा सरकार समेत 35 लोगों के नाम हैं, जिसमें छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएफएस रेरा चेयरमैन संजय शुक्ला भी आरोपी है। संजय शुक्ला रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज में ट्रस्टी हैं। लिहाजा ऐसी चर्चा है कि संजय शुक्ला समेत दर्जनों ऐसे अधिकारी हैं, जो बाबा के कारोबार में सहभागी है। अगर ईमानदारी से जांच हुई, तो कई अधिकारियों की भ्रष्टाचार से की गई कमाई उजागर हो सकती है।
रिश्वत देकर निजी मेडिकल कॉलेज की मान्यता से जुड़े क्रिमिनल सिंडिकेट में रावतपुरा सरकार और रावतपुरा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की भूमिका संबंधी सीबीआई की एफआईआर में खुलासे के बाद छ्त्तीसगढ़ के अधिकारी और नेताओं में हडक़ंप मचा हुआ है। ऐसे में बाबा के सहयोगियों में चिंता है कि अगर बाबा पर सीबीआई शिकंजा कसती है तो आंच उनपर भी आएगी। और वे जेल भी भेजे जा सकते हैं।
कोल माइन क्षेत्र के कद्दावर मंत्री की भी बाबा से जुगलबंदी की है चर्चा : बाबा के कारोबार के छत्तीसगढ में स्थापित करने में कोयला खनन क्षेत्र से आने वाले कद्दावर मंत्री की भी बड़ी भूमिका बताई जा रही है। ये मंत्री राज्य बनने के बाद से ही बाबा के भक्त हैं। चर्चा ये भी है चुनाव में बाबा से जुड़े लोगों ने कथित मंत्री की खूब आर्थिक मदद भी की थी। सरकार बीजेपी की हो या कांग्रेस की बाबा का डंका बजता रहा। ऐसे में ये भी चर्चा है कि रायपुर कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री जो पिछला चुनाव हार चुके है, जब वे मंत्री थे उसी समय बाबा ने छत्तीसगढ़ में पैर जमाए थे बीजेपी की सरकार में धंधा जमकर फलफूला।
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस साबित करने सरकार पर दबाव! : राज्य में बीजेपी मुख्यमंत्री विष्णु के सुशासन के टैग के साथ आगे बढ़ रही है। ऐसे में सरकार से जुड़े लोग दम्भ भरते है कि विष्णु के सुशासन में कोई बच नहीं सकता है। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल कह चुके है आरोपी कितनाभी रसूखदार हो कार्रवाई होगी। ऐसे में सरकार पर अपनी छवि को मजबूत करने कार्रवाई करने का दबाव है।

