Raigarh. रायगढ़। छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने रायगढ़ में ‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में भाग लेकर इस विचार की आवश्यकता और प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में जिले के बुद्धिजीवी, जनप्रतिनिधि, छात्र, अधिवक्ता, समाजसेवी और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। वित्त मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह पहल देश को एक मजबूत लोकतांत्रिक आधार प्रदान करेगी और संसाधनों की बचत कर उन्हें विकास के कार्यों में लगाया जा सकेगा। ओपी चौधरी ने कहा कि बार-बार चुनाव कराना न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से बोझिल होता है, बल्कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था पर भी असर पड़ता है। चुनावी प्रक्रिया के दौरान प्रशासन, पुलिस बल, शिक्षकों समेत बड़ी संख्या में सरकारी तंत्र इसमें लग जाता है, जिससे विकास कार्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
यदि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाएं तो समय, पैसा और मानवीय संसाधनों की बचत होगी। उन्होंने आगे कहा कि “हर राज्य और केंद्र में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे राजनीति का तापमान पूरे साल बना रहता है। इससे न केवल शासन प्रभावित होता है, बल्कि जनता का ध्यान भी बार-बार मुख्य मुद्दों से
भटकता
है। ‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ की अवधारणा से राजनीतिक स्थिरता आएगी और सरकारें पूरे कार्यकाल में स्थायी नीति बना सकेंगी।” संगोष्ठी में वक्ताओं ने सुझाव दिया कि इस प्रणाली को लागू करने के लिए संविधान में कुछ संशोधन करने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यदि देशहित में यह जरूरी है तो इन बाधाओं को दूर करना भी संभव है। चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि बार-बार आचार संहिता लागू होने से न केवल प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होता है बल्कि कई योजनाएं समय पर लागू नहीं हो पातीं।कार्यक्रम में मौजूद छात्र-छात्राओं ने भी इस विषय पर प्रश्न पूछे और अपने सुझाव रखे। वित्त मंत्री ने उनका उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि लोकतंत्र में युवाओं की भागीदारी और जागरूकता ही असली पूंजी है। संगोष्ठी का उद्देश्य लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक करना और जनमत को एकत्र करना था ताकि केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण विचार को मजबूती मिल सके। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित लोगों ने ‘एक राष्ट्र – एक चुनाव’ को लेकर एकमत से सहमति जताई और इस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। ओपी चौधरी ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र का पर्व होता है, लेकिन यदि यह पर्व व्यवस्थित तरीके से तय समय पर एकसाथ मनाया जाए, तो इससे देश के समय और संसाधनों की बचत होगी और हम विकास की दौड़ में तेज़ी से आगे बढ़ सकेंगे।

