गिरीश गुप्ता. गरियाबंद। सर्वाेच्च न्यायालय तथा बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली से प्राप्त निर्देशानुसार जेलों में निवासरत बंदियों का उम्र सत्यापन कराया जाना है। उम्र निर्धारण के संबंध में संदेह अथवा प्रक्रियागत त्रुटि के कारण बच्चे जेलों में निरूद्ध हो जाते हैं। जिनके उम्र का सत्यापन करने हेतु अधिवक्ताओं एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के पैनल को सम्मिलित कर जेलों का निरीक्षण प्रत्येक त्रैमास में किया जाता है। उक्त निर्देश के परिपालन में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक कुमार पाण्डेय के मार्गदर्शन एवं
जिला बाल संरक्षण
अधिकारी अनिल द्विवेदी के समन्वय में गत दिवस जिला जेल गरियाबंद का जेल निरीक्षण समिति में पूर्णिमा तिवारी (सदस्य किशोर न्याय बोर्ड), ताकेश्वरी साहू (सदस्य बाल कल्याण समिति), शरदचंद निषाद (विधिक सह परिविक्षा अधिकारी) एवं हेमराज दाऊ अधिवक्ता के द्वारा जेल निरीक्षण किया गया। इस दौरान जिला जेल के सहायक जेल अधीक्षक व जेल प्रहरी निरीक्षण दौरान उपस्थित थे। निरीक्षण समिति द्वारा 05 बैरकों का निरीक्षण किया गया निरीक्षण समिति द्वारा प्रत्येक बंदियों से मुलाकात कर उनके वास्तविक आयु की जानकारी ली गई। जिसमें 1 बंदी ने बताया कि घर में मेरे दो बच्चों का देखभाल करने के लिए कोई नहीं है। जेल निरीक्षण समिति द्वारा बंदी के 02 बच्चों का देखभाल एवं संरक्षण करने के संबंध में उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है।

