बिलासपुर। जिला जांजगीर-चांपा के पामगढ़ निवासी बूंदराम भारती पुलिस विभाग में सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) के पद पर कार्यरत थे। उनको 18 अगस्त 2017 को अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया था। इस आदेश के खिलाफ उन्होंने बिलासपुर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। इसी दौरान 9 अक्टूबर 2018 को उनकी मृत्यु हो गई। 21 दिन बाद गृह विभाग के सचिव ने उनका अनिवार्य सेवानिवृत्त आदेश निरस्त कर उन्हें सेवा में बहाल करने का आदेश जारी किया। मृत्यु के पश्चात बूंदराम भारती के पुत्र विक्की भारती ने गृह विभाग के समक्ष अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन इसे इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि उनके पिता की मृत्यु के समय वे सेवा में नहीं। अधिवक्ता के माध्यम से रिट याचिका दायर की विक्की भारती ने इस फैसले के खिलाफ अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की। याचिका में तर्क दिया गया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश मृत्यु के बाद नियम विरुद्ध मानते हुए निरस्त कर दिया गया था। इसलिए मृतक के पुत्र विक्की भारती को अनुकंपा नियुक्ति का अधिकार मिलना चाहिए।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद यह पाया कि बूंदराम भारती के विरुद्ध जारी अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश निरस्त किया जा चुका है। अतः उनकी मृत्यु के समय उन्हें सेवा में माना जाएगा।
कोर्ट ने गृह विभाग के सचिव के आदेश को निरस्त करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे अनुकंपा नियुक्ति नीति 2013 के तहत विक्की भारती के आवेदन पर विचार कर उन्हें पुलिस विभाग में नियुक्ति प्रदान करें। यह निर्णय मृतक सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए महत्वपूर्ण नजीर बन सकता है।