आदिवासियों को तकनीक के क्षेत्र में कम आंकना बेवकूफी से कम नहीं होगी। जो काम बड़े इंजीनियर गांव में नहीं कर पाते वो गांववाले आसानी से कर लेते हैं खबरों कई बार पढ़ा और देखा होगा कि बांस बल्ली से जुगाड़ का पुल बनाते हुए अब पानी की टंकी को भी बांसबल्ली करण कर बता दिया कि चहां चाह वहां राह हमारी नीति है। हम किसी पर निर्भर नहीं है। देसी कारीगरी कहें या ग्रामीण टेक्नोलॉजी, इसका नायाब नमूना पेश किया है मानपुर वनांचल के खुर्सेखुर्द गांव के ग्रामीणों ने। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक, जल जीवन मिशन के तहत गांव में नल-जल की सुविधा अब तक बहाल नहीं हुई है। गांव के हैंडपंपों के भरोसे ही ग्रामीण पेयजल आपूर्ति करते हैं। हैंडपंप यदि कभी बिगड़ जाए तो सुधार के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, वहीं जल्द हैंडपंप न सुधरे तो पानी की किल्लत होती है। यही वजह है कि एक हैंडपंप को बिजली से जोड़ दिया गया है। इस हैंडपंप के किनारे ग्रामीणों ने बल्लियों और बांस से एक टावर बनाया है, जिसके ऊपर दो टंकियां रखी गई हैं। टंकियां पाइप के जरिए हैंडपंप से जुड़ी हुई है। वहीं टंकी से टावर के नीचे पाइप के जरिए पानी की सप्लाई पाइप लगाया गया है। इस पाइप में नल सिस्टम लगाए गए हैं, जिससे टंकी में जमा किए गए पानी को नलों के जरिए ग्रामीण अपने पीने व अन्य उपयोग कर रहे हैं।जनता में खुसुर-फुसुर है कि सरकार को चाहिए कि गांव वालों की सुविधानुसार प्राथमिकता के आधार पर विकास की रूपरेखा तैयार कर उसे क्रियान्वित करने सरकार अमले के बजाय गांववालों को ही ठेका दे दे। वो वहां की समस्या का समाधान निकाल लेंगे। किसी ने ठीक ही कहा है कि समस्या है तो हल भी निकलेगा, आज नहीं तो कल निकलेगा।
बस्तर की जनता को भी समझ में नहीं आ रहा…
छत्तीसगढ़ से नक्सलवादियों की विदाई की बेला अब करीब है, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह औऱ सीएम विष्णुदेव साय की दृढ़ इच्छा शक्ति के आगे नक्सलवाद नतमस्तक नजर आ रहा है। निय़द नेल्लानार और लोन वर्राटू की नीति नक्सलियों को मुख्यधारा से जोडऩे में मददगार साबित हुई है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बस्तर की जनता को भी समझ में नहीं आ रहा है कि नक्सली ज्यादा ताकतकर है सरकारी नीति, जो लोग 25 साल तक आतंक के पर्याय बने रहे और एकाएक मुख्यधारा लौटने कैसे तैयार हो गए। कहते है कि नक्सली विष्णुदेव सरकार के कामकाज प्रेरित होकर मुख्यधारा में लौट रहे हैं। औऱ जो अभी आईईडी लगाकर जवानों को मार रहे है वो कौन है, तीन राज्यों के डीजीपी स्तर की बैठक में यह तय हुआ है कि हर हाल में नक्सलवाद को रोकना है कुछ भी करना पड़े पीछे नहीं हटना है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह बदलते बस्तर की तस्वीर है जहां बंदूकें झुक रही हैं और विकास की आवाज़ बुलंद हो रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सफलता सुरक्षाबलों के अदम्य साहस और भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक केंद्रीय गृह मंत्री के पद पर सेवा देने वाले अमित शाह के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन का प्रतिफल है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह का कार्यकाल भारत की आंतरिक सुरक्षा का वह युग है जिसने असंभव को संभव बना दिया है। अनुच्छेद 370 की ऐतिहासिक समाप्ति हो या नक्सलवाद एवं आतंकवाद पर कठोर प्रहार का निर्णय-उन्होंने सदैव भारत को एक सुरक्षित, सशक्त और आत्मविश्वासी राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाया है।
कौन होगा आत्म निर्भर …
छत्तीसगढ़ सरकार पिछले डेढ़ साल में अनेक उल्लेखनीय कार्य करते हुए विकास की दौड़ में अन्य राज्यों से आगे चल रही है। सरकार पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना को प्रदेश के कोने-कोने तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। उनकी यह पहल न केवल छत्तीसगढ़ को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, रोजगार सृजन और सतत विकास के बड़े लक्ष्यों को भी हासिल करेगी। साथ ही जीरो कार्बन एमिशन लक्ष्यों में योगदान सुनिश्चित होगा। जनता में खुसुर-फुसुर है कि उसके अध्यक्ष से लेकर अधिकारियों तक उजाले की पहल किरण पहुंचनी चाहिए तभी कोने-कोने तक उजाला पहुंचाया जाएगा। अब उनके अधिकारी औऱ अध्यक्ष प्रदेश के कोने कोने में सौर ऊर्जा की तरह बगर गए है। आत्मनिर्भऱ होंगे या नहीं होंगे पर अध्यक्ष औऱ अधिकारी आत्मनिर्भऱ हो जाएंगे ये तय है। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में घर-घर रूफटॉप सोलर पॉवर प्लांट स्थापित कर लोगों को प्रदूषण मुक्त, मुफ्त और निरंतर बिजली देने की परिकल्पना की गई है। इसके माध्यम से प्रत्येक उपभोक्ता को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाकर उनके मासिक खर्चों में भी उल्लेखनीय कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
तूने कुत्ते का जूठा खाया है …तू बिलकुल…
स्कूल में बच्चों को कुत्ते का जूठा भोजन परोसने के मामले में राज्य शासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए स्कूल के प्रभारी प्रधानपाठक और एक शिक्षक को निलंबित कर दिया है। साथ ही तीन शिक्षकों का इंक्रीमेंट रोक दिया है। कलेक्टर के प्रतिवेदन पर लोक शिक्षण संचालनालय ने यह कार्रवाई की है। पूरा मामला बलौदाबाजार जिले के विकासखंड पलारी के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला लच्छनपुर का है। 28 जुलाई को रसोइयों द्वारा बनाए गए मध्यान्ह भोजन को आवारा कुत्ते द्वारा जूठा कर दिए जाने के बाद भी रसोइया एवं प्रधानपाठक ने जानबूझकर छात्रों को परोस दिया था और मामले को छुपाने का प्रयास किया था। इस दौरान 84 बच्चों को मध्यान्ह भोजन सेवन पश्चात् गुपचुप तरीके से एंटी रेबीज टीका लगवाए जाने एवं घटना को दबाने के प्रयास के संबंध में कलेक्टर बलौदाबाजार -भाटापारा के प्रतिवेदन के आधार पर शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय लच्छनपुर के प्रभारी प्रधानपाठक नेतराम गिरि एवं शिक्षक एलबी वेदप्रकाश पटेल को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि रसोइयों औऱ प्रधानपाठक ने जूठा खाना परोसने की गुश्ताखी की है। शायद वो सरकार के पैसे बचाना चाहते हो, लेकिन वो उलटा पड़ गया। रसोइया औऱ प्रधानपाठक की जुगल जोड़ी 84 बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का दुस्साहस टिका हुआ है। रसोइयां और प्रधानपाठक को जब पता था कि कुत्ते ने जूठा कर दिया है तो दोबारा भोजन बनाकर परोसना था, मगर खबर है कि दोनों ने भोजन चख लिया था इस कारण दुम हिलाते रहे कोई निर्णय नहीं ले पाए।
भैंस के आगे बीन बजाए भैंस खड़ी पगुराए
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लाल उमेद सिंह के निर्देश पर मंदिर हसौद थाना परिसर में बैठक लेकर होटल ढावा वाले को सख्त हिदायत दी है कि ढाबों में किसी भी स्थिति में अवैध रूप से शराब का सेवन न होने दिया जाए। रात्रि 12 बजे के पश्चात सभी ढाबों को अनिवार्य रूप से बंद किया जाए। ढाबों में उच्च गुणवत्ता वाले सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य रूप से स्थापित किए जाएं, जो ढाबे के भीतर एवं मुख्य सडक़ की दिशा में स्पष्ट निगरानी हो। गैरकानूनी गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि कोई व्यक्ति नशीली गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, तो उसकी सूचना तत्काल स्थानीय पुलिस थाने को दी जाए। बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (नया रायपुर), थाना प्रभारी आरंग और थाना प्रभारी मंदिर हसौद की उपस्थिति में मुख्य सडक़ों के किनारे संचालित ढाबा संचालकों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। बैठक का उद्देश्य क्षेत्र में रात के समय होने वाली आपराधिक गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना और जनसुरक्षा को प्राथमिकता देना था। बैठक में ढाबा संचालकों को स्पष्ट रूप से कई दिशा-निर्देश जारी किए गए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बहुत से ढाबे औऱ होटल वाले बैठक में मुस्कुराते नजर आए कुछ लोग सिर हिलाकर हां में हां मिला रहे थे, मतलब साफ था कि भैंस के आगे बीन बजाए भैंस चले पगुराए वाली कहावत अंगीकार होते नजर आ रहा था। होटल-ढाबे वाले यह कहते सुने गए कि घोड़ा घास से दोस्ती कैसे करेगा। हमारा तो धंधा ही नशे की बुनियाद पर खड़ा है। उसे कैसे शराफत को चोला पहनाए यह समझ में नहीं आ रहा है।

