सुकमा। CG NEWS: राजस्थान के जैसलमेर में हुए भीषण बस हादसे के बाद अब छत्तीसगढ़ में भी यात्री सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इसी कड़ी में सुकमा नगरपालिका की पार्षद कांता राठी ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और प्रदेश के प्रभारी मंत्री को पत्र लिखते हुए राज्य में बसों की सुरक्षा व्यवस्था पर कड़ा रुख अपनाने की मांग की है।
कांता राठी ने अपने पत्र में लिखा कि “जैसलमेर-जोधपुर मार्ग पर हुई दुर्घटना केवल एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी है।” उन्होंने सवाल उठाया कि जब बस नई थी और फिटनेस सर्टिफिकेट हाल ही में मिला था, तब भी वह कुछ ही मिनटों में चलती-फिरती चिता कैसे बन गई? दरवाजे क्यों नहीं खुले, इमरजेंसी एग्जिट कहाँ था और फायर सेफ्टी क्यों फेल हुई?

जाँच का दायरा सिर्फ कागजों तक न रहे सीमित
पार्षद कांता राठी ने कहा कि “मुख्यमंत्री जी, हमें मुआवजा नहीं जवाबदेही चाहिए।” उन्होंने मांग की कि बस हादसों के दोषियों — चाहे वे प्राइवेट ऑपरेटर हों या विभागीय अधिकारी — के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही पूरे प्रदेश में बसों, स्कूल वाहनों और अस्पतालों की जमीनी स्तर पर दोबारा जांच की जाए।
उन्होंने कहा कि एसी बसों में फायर अलार्म, इमरजेंसी एग्जिट और प्रशिक्षित स्टाफ अनिवार्य किया जाए। सड़कों को गड्ढों से मुक्त रखा जाए, खतरनाक मोड़ों पर चेतावनी बोर्ड और बैरिकेडिंग लगाई जाए ताकि आने वाले समय में ऐसे हादसे न हों।
“अगर अब भी नहीं चेते, तो अगला हादसा संवेदनाओं की मौत होगा”
कांता राठी ने अपने पत्र में भावनात्मक शब्दों में लिखा —
“अगर इस बार भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अगला हादसा सिर्फ एक ‘न्यूज’ नहीं होगा, बल्कि हमारी संवेदनाओं की मौत होगी। मैं यह पत्र एक माँ के भय, एक बेटी के दर्द और एक जिम्मेदार महिला की हिम्मत से लिख रही हूँ।”
जान हथेली पर रखकर होती है यात्रा
उन्होंने पत्र में यह भी उल्लेख किया कि लंबी दूरी तय करने वाली 90% बसें केवल एक चालक के भरोसे चलती हैं, जबकि पड़ोसी राज्यों में 300 किमी से अधिक दूरी पर दो चालक होना अनिवार्य है। दुर्ग, रायपुर से बस्तर की ओर आने वाली बसें अक्सर एकल चालक द्वारा संचालित होती हैं, जो यात्रियों की जान के लिए खतरा बन सकती हैं।
राठी ने कहा कि एकल चालक को अगले दिन आराम का समय तक नहीं मिलता, जिससे हादसे की संभावना और बढ़ जाती है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि वातानुकूलित और सामान्य बसों के परमिटों की नियमित जांच हो, और बसों के चालक व परिचालक वर्दी में नेमप्लेट के साथ ड्यूटी करें, ताकि किसी भी समस्या की स्थिति में शिकायत की जा सके।
साथ ही उन्होंने मांग की कि सभी बसों में यात्री भाड़ा सूची अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए, ताकि मनमानी वसूली पर अंकुश लगाया जा सके।