बिलासपुर। CG NEWS : आज हम आपको बताएँगे एक ऐसी साज़िश… जिसकी नींव चार महीने पहले रखी गई थी… और निशाना बनी एक मां और उसकी बेटी.. “सुबह के सन्नाटे में जब सभी सो रहा थे, तभी दो नकाबपोश दरिंदे, मौत का सामान लेकर एक मासूम परिवार पर टूट पड़े। लाठी-डंडों की बरसात, खून से लथपथ आंगन और 5 लाख की सुपारी ने खोल दी इस खौफनाक कहानी की परतें।
“तो चलिए आपको हम बताते हैँ घटनास्थल की उस गली में… जहां मौत ने दस्तक दी — मल्हार, वार्ड नंबर 05

26 सितंबर की सुबह… वक्त करीब 5:45 का… सतरूपा श्रीवास अपने रोज़ के काम के लिए जैसे ही घर का दरवाज़ा खोलती हैं। घात लगाए दो नकाबपोश भेड़िए लाठी-डंडों से टूट पड़ते हैं।बेरहमी से वार, लहूलुहान मां… और जब बेटी बृहस्पति ने मां को बचाना चाहा — उसे भी बख्शा नहीं गया।”
“हमलावर समझते हैं कि उनका काम पूरा हो चुका है और मौत को पीछे छोड़कर अंधेरे में गुम हो जाते हैं। ”
मल्हार पुलिस की तेजी और तकनीकी जांच ने इस वारदात के पीछे छिपे चेहरों को बेनकाब कर दिया। CCTV, गवाहों के बयान और मोबाइल लोकेशन ने इशारा किया… कि यह हमला कोई यूं ही नहीं हुआ था — यह एक ‘प्लान्ड मर्डर’ था।”
“पर्दा उठा और सामने आए चार नाम–कृष्ण कुमार, विष्णु प्रसाद, नूतन कर्ष और टेकराम केवट… और उनके बीच हुआ था — 5 लाख की सुपारी का सौदा, इस खौफनाक साज़िश की जड़ें थीं संपत्ति, नौकरी और दावा राशि की लालच — जो पति की मौत के बाद सतरूपा के नाम होनी थी।”
चार महीने पहले रची गई यह प्लानिंग, 70 हजार की एडवांस रकम और हत्या की पूरी तैयारी — लेकिन एक गलती ने अपराधियों को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे।”मां जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है… बेटी अस्पताल में है… लेकिन इस बार इंसाफ की लड़ाई अब थमी नहीं है। सवाल यही है — क्या सिर्फ सुपारी देने वाले ही दोषी हैं? या लालच की जड़ें और गहरी हैं?”
“कहानी खत्म नहीं हुई… लेकिन एक मोड़ पर जरूर आ गई है।””चारों आरोपी अब सलाखों के पीछे हैं, हत्या की साजिश बेनकाब हो चुकी है, और पुलिस हर कड़ी को जोड़कर केस को airtight बना रही है।”
“बेटी बृहस्पति खतरे से बाहर है लेकिन मां सतरूपा अब भी ज़िंदगी की जंग लड़ रही हैं। उनका दर्द, उनका संघर्ष — इस कहानी की सबसे बड़ी गवाही है।””लालच ने इंसान को हैवान बना दिया… और पैसों की खातिर रिश्तों को ही मिटाने की साजिश रच दी। लेकिन सच यही है — अपराध कितना भी चालाक हो, कानून उससे एक क़दम आगे चलता है।
अब बस इंतज़ार है उस दिन का… जब सतरूपा होश में आएंगी और उन्हें पता चलेगा कि उनकी लड़ाई अधूरी नहीं रही… न्याय उनके दरवाज़े तक पहुंच चुका है।


