बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आवासीय टाउनशिप को दी जाने वाली बिजली पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ नहीं मिलेगा। जस्टिस संजय के. अग्रवाल की बेंच ने कहा कि बिजली का उपयोग व्यवसाय के दौरान या उसे आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है, यह टैक्सपेयर द्वारा दिए गए फॉर्म-जी से स्पष्ट है, लेकिन टाउनशिप के रखरखाव के लिए इस्तेमाल हुई बिजली पर आईटीसी का हक नहीं बनता।
मामला बालको से जुड़ा है, जो एल्यूमिनियम उत्पादों के निर्माण, बिक्री और निर्यात में लगी कंपनी है। कंपनी कोयले का आयात करती है, जिस पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स के तहत मुआवजा उपकर अदा किया जाता है। यह कोयला दो पावर प्लांट में बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल होता है और वही बिजली एल्यूमिनियम निर्माण में लगती है।बालको ने कोयला आयात पर दिए गए सेस के आईटीसी की वापसी (रिफंड) के लिए आवेदन किया था। कंपनी का तर्क था कि टाउनशिप का रखरखाव भी व्यवसाय का हिस्सा है, क्योंकि यहां कर्मचारी रहते हैं, जो उत्पादन कार्य की निरंतरता के लिए जरूरी हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि दूरस्थ इलाके में स्थित होने के कारण टाउनशिप का संचालन उसके औद्योगिक कामकाज से गहराई से जुड़ा है और टाउनशिप को बिजली आपूर्ति करना एक व्यावसायिक गतिविधि है।
लेकिन अदालत ने माना कि आईटीसी कोई मूल अधिकार नहीं है, बल्कि यह कानून के तहत दी गई एक रियायत या लाभ है, जिसे तभी लिया जा सकता है जब सीजीएसटी अधिनियम की धारा 16(4) में बताई गई सभी शर्तें पूरी हों। चूंकि टाउनशिप रखरखाव पर बिजली खपत के मामले में शर्तें पूरी नहीं होतीं, इसलिए याचिका खारिज कर दी गई।

