पहली बार रास-गरबा के भव्य आयोजन से जगमगाया इलाका
सुकमा। CG NEWS: कभी नक्सल प्रभाव से ग्रस्त जगरगुंडा अब उत्सव और भक्ति के रंग में रंग चुका है। डेढ़ दशक बाद यहाँ नवरात्रि का आयोजन हुआ, जिसने इस क्षेत्र में जीवन, उम्मीद और उल्लास की नई किरण जगा दी है। जिस इलाके में कभी शाम होते ही सन्नाटा छा जाता था, अब वहाँ देर रात तक भक्ति गीत और ढोल-नगाड़ों की गूंज सुनाई देती है।

नवरात्र पर्व बना पुनर्जागरण का प्रतीक
2006 के सलवा जुडूम आंदोलन के बाद जगरगुंडा में सामाजिक जीवन ठहर गया था। लेकिन अब शासन-प्रशासन की सतत कोशिशों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की पहल से यह इलाका बदल चुका है। ग्राम पंचायत की युवा सरपंच नित्या कोसमा के नेतृत्व में इस बार नवरात्र पर्व का भव्य आयोजन किया गया। माता की प्रतिमा स्थापना, भंडारा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और भक्ति संगीत ने पूरे गांव को एक सूत्र में बाँध दिया।
पहली बार रास-गरबा का आयोजन
इतिहास में पहली बार जगरगुंडा में रास-गरबा का आयोजन हुआ। सरपंच नित्या कोसमा ने स्वयं महिलाओं और छात्राओं को प्रशिक्षण देकर इस आयोजन को यादगार बना दिया। ग्रामीणों ने कहा— “यह केवल उत्सव नहीं, बल्कि हमारे जीवन में लौटती मुस्कान और विश्वास का प्रतीक है।”
अब जगरगुंडा में डर नहीं, विकास की गूंज है
नई सड़कों, पुल-पुलियों और योजनाओं की पहुंच ने इस क्षेत्र को तीन जिलों से जोड़ा है। अब जगरगुंडा में बिजली है, स्कूलों में बच्चों की आवाज़ है, और रातें संगीत से सराबोर हैं। ग्रामीणों ने कहा कि भय के अंधेरे को भक्ति की रोशनी ने मिटा दिया है।


