आदेश
हैरान करने वाला है क्योंकि उसमें अफसर के खिलाफ आरोप क्या था, इसका भी जिक्र नहीं है। बता दें, 2014 में राज्य प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के अधिकारी तीर्थराज अग्रवाल रायगढ़ में एसडीएम थे, उस समय एनटीपीसी के लारा प्रोजेक्ट के लिए भूअर्जन चल रहा था। उसमें इतना बड़ा खेल हुआ था कि तत्कालीन कलेक्टर मुकेश बंसल भी हिल गए थे। उन्होंने नाराज होकर इसकी जांच कराई और 1300 पेज की जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी। कलेक्टर ने एसपी राहुल भगत से बात कर पुलिस में मुकदमा भी दर्ज कराया था।
खरीदी
, बिक्री के साथ ही खातों के बंटवारे पर लगी रोक चुपके से हटा दी। इसके बाद रायगढ़ के सफेदपोश लोगों ने किसानों से कौड़ियों के मोल जमीनें खरीद ली और उसे टुकड़ों में बांट एनटीपीसी को टिका दिया। ज्ञातव्य है, भूअर्जन नियम के अनुसार छोटे टुकड़ों का रेट कई गुना ज्यादा मिलता है, इसलिए एनटीपीसी के आंकलन से मुआवजा 500 करोड़ ज्यादा चला गया। इस पर हड़कंप मचा। एनटीपीसी का दिल्ली हेडक्वार्टर भी स्तब्ध था। भारत सरकार से इसकी शिकायत की गई। साथ कलेक्टर रायगढ़ की नोटिस में यह बात लाई गई। रायगढ़ कलेक्टर मुकेश बंसल ने इसकी जांच कराई तो वे चकित रह गए। नियम कायदों को धता बताते हुए बड़ी अफरातफरी की गई थी।