अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के भूमि विवाद को अपनी मध्यस्थता में आपसी बातचीत से हल करने की पहल पर विचार करने के लिए बुधवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना सकता है। विवाद से जुड़े प्रमुख पक्षकारों में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड सहित लगभग सभी मुस्लिम पक्षकार और प्रमुख हिन्दू पक्षकारों में से निर्मोही अखाड़ा अदालत की मध्यस्थता में आपसी बातचीत से विवाद को हल करने के लिए राजी हो गए हैं।
तीन प्रमुख पक्षकारों ने दी है सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हाईकोर्ट ने अयोध्या के विवादित परिसर के जमीन बंटवारे के बारे में पूर्व में जो फैसला दिया था, उसमें सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच ही जमीन का बंटवारा किया गया था, जिसे बाद में तीनों पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
विवाद में मुख्य मुस्लिम पक्षकार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेण्ट्रल वक्फ बोर्ड सहित सभी प्रमुख मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन, राजू राम चन्द्रन, शकील अहमद, दुष्यंत दबे आदि ने 26 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस बाबत हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता में आपसी बातचीत से विवाद को हल करने पर अपनी सहमति दे दी है।
इसी क्रम में विवाद से जुड़े प्रमुख हिन्दू पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ने भी बातचीत से विवाद के हल के लिए सुप्रीम कोर्ट में 26 फरवरी को सुनवाई के दौरान ही सहमति दे दी थी। मगर एक अन्य प्रमुख हिन्दू पक्षकार रामलला विराजमान ने विवाद को बातचीत से हल करने की पहल पर सहमति नहीं दी है।
चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान सुझाव दिया था कि यदि विवाद का सहमति के आधार पर समाधान खोजने की एक प्रतिशत भी संभावना हो तो संबंधित पक्षकारों को मध्यस्थता का रास्ता अपनाना चाहिए।
हिन्दू महासभा राज़ी नहीं
एक अन्य हिन्दू पक्षकार हिन्दू महासभा आपसी बातचीत से विवाद के हल के लिए तैयार नहीं है। हिन्दू महासभा के वकील हरीशंकर जैन एडवोकेट ने ‘हिन्दुस्तान’ से कहा कि आपसी बातचीत से विवाद का हल करने का मतलब होगा अयोध्या के विवादित परिसर में मुसलमानों को जमीन का कुछ हिस्सा देने पर राजी होना। इसके लिए हिन्दू महासभा कतई तैयार नहीं है, हम इसका विरोध करेंगे।
सुन्नीवक्फ बोर्ड के अलावा अन्य प्रमुख मुस्लिम पक्षकारों में हाजी महबूब, हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट अपनी मध्यस्थता में विवाद को बातचीत से हल करवाने पर सहमति देता है तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा।
प्रमुख हिन्दू पक्षकरों में से एक राम लला विराजमान की तरफ से हाईकोर्ट में वकील रहे मदन मोहन पाण्डेय ने कहा कि हम तो यही चाहते हैं कि जो भी फैसला हो वह अदालत के जरिये ही हो, बातचीत से नहीं। रामलला विराजमान के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि पहले भी मध्यस्थता का प्रयास हुआ, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
वैद्यानाथन ने कहा कि विवादित स्थल राम की जन्मस्थली है, मध्यस्थता की गुंजाइश नहीं है, तब कोर्ट ने कहा था, ‘हम आपकी मर्जी के बिना कुछ नहीं करेंगे, लेकिन अगली सुनवाई में आप दोनों पक्षकार बताएं कि क्या कोई रास्ता निकलता है।’