लाइफस्टाइल

गर्मी कर रही परेशान, तो हो जाए सावधान, वरना इन 5 चीज़ों से शरीर को हो सकता है नुकसान…

हमारा शरीर अपने कूलिंग सिस्टम के जरिए हाई टेंपरेचर का जवाब देते हैं। लेकिन प्रचंड गर्मी पड़ने की वजह से यह सिस्टम स्लो हो जाता है। जिसकी वजह से कई तरह के लक्षण शरीर पर नजर आने लगते हैं। कई बार थकान, मतली और ऐंठन और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादा गर्मी तो कई बार ऑर्गेन फेल होने की वजह भी बन जाती है। आइए जानते हैं ज्यादा गर्मी होने पर शरीर पर कौन-कौन से लक्षण नजर आते हैं।

बढ़ा हुआ पसीना

पसीना हमारे शरीर का नेचुरल कूलिंग सिस्टम है जो टेंपरेचर बढ़ने के साथ एक्टिव होता है। टेंपरेचर जब 45 डिग्री के ऊपर जाता है तो पसीने की ग्रंथियां ज्यादा मेहनत करने लगती है। जिसकी वजह से काफी पसीना निकलता है। जो त्वचा पर वाष्पित हो जाता है और इसका शीतलन प्रभाव होता है। जबकि पसीना शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है और ज़्यादा गरम होने से रोकता है, यह इलेक्ट्रोलाइट और पानी के नुकसान का कारण भी बनता है। ऐसे में डिहाइट्रेशन से बचने के लिए काफी तरल पदार्थ लेना चाहिए। ताकि शरीर में पानी की कमी को पूरा किया जा सके।

Read More- ‘दृष्यम’ की दीवानगी ने फिर गाड़े झंडे, अब हॉलीवुड, कोरिया और चीन में भी बनेगा इसका रीमेक…

ब्लड वेसल्स का चौड़ा होना

वासोडिलेशन वह प्रक्रिया है जिसके जरिए तेज गर्मी में हमारी रक्त वाहिका चौड़ी हो जाती है। जब तापमान 45 डिग्री से ऊपर बढ़ जाता है, तो त्वचा की सतह के करीब रक्त धमनियां बढ़ जाती हैं, जिससे अधिक रक्त उनके माध्यम से गुजर सकता है। यह शरीर के टेंपरेचर को मेंटन करने का काम करता है। हालांकि रक्त वाहिकाओं में बढ़ोतरी की वजह से कभी-कभी ब्लड प्रेशर में कमी आती है। जिससे हल्कापन या बेहोशी हो सकती है।अत्यधिक गर्मी के दौरान दिल को हेल्दी बनाए रखने के लिए खूब पानी पीना चाहिए और ठंडे वातावरण में आराम करने की जरूरत होती है।

तेज़ दिल की धड़कन

45 डिग्री से ऊपर जब पारा जाता है तो हमारी पल्स रेट अक्सर बढ़ जाती है। यह कोशिकाओं को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को अधिक प्रभावी ढंग से परिवहन के लिए कार्डियक आउटपुट बढ़ाकर प्रतिक्रिया करता है। पूरे शरीर में पर्याप्त ब्लड की सप्लाई हो और शरीर का टेंपरेचर ठीक रहे इसलिए यह तेजी से काम करने लगता है। दिल से जुड़ी बीमारी के शिकार लोगों को इतने टेंपरेचर में काम करने से बचना चाहिए। इससे स्ट्रोक या हार्ट अटैक होने की आशंका बढ़ जाती है।

सनबर्न और त्वचा में परिवर्तन

45 डिग्री से ऊपर के तापमान के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कई त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। तीव्र गर्मी के कारण त्वचा शुष्क, संवेदनशील और सनबर्न के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकती है। सूरज की पराबैंगनी (यूवी) विकिरण तेज हो जाती है, जिससे सनबर्न और लंबे समय तक त्वचा को नुकसान होने का खतरा बढ़ जाता है। त्वचा पर हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए, दिन के सबसे गर्म हिस्सों में सनस्क्रीन, फूल कपड़े और धूप से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

Join us on Telegram for more.
Fast news at fingertips. Everytime, all the time.
प्रदेशभर की हर बड़ी खबरों से अपडेट रहने CGTOP36 के ग्रुप से जुड़िएं...
ग्रुप से जुड़ने नीचे क्लिक करें

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!