महिला दिवस विशेष – इनके जज्बे को सलाम, इन महिलाओं ने दिया साहस का परिचय
देश की रक्षा में अपनी जान न्योछावर करने वाले सपूतों को तो हम सब बार-बार नमन करते हैं लेकिन उनकी विधवाओं के संघर्ष को बिसरा ही देते हैं। इस महिला दिवस पर आपको *रू-ब-रू कराते हैं ऐसी ही कुछ महिलाओं से जो अपने पतियों की शहादत से टूटी नहीं। उनका हौसला दूसरों के लिए मिसाल है। जिंदगी के हर मोर्चे पर अकेले ही जूझकर अपने और अपने पतियों के सपने चरितार्थ करने वाली भारत की बेटियों को हिन्दुस्तान का सलाम… .
एक बेटे को नौसेना तो दूसरे को थलसेना में भेजा :
2015 में जम्मू-कश्मीर में ‘ऑपरेशन रक्षक’के दौरान शहीद हुए सूबेदार कृष्ण सिंह की इच्छा थी कि उनके बेटे न सिर्फ सेना में जाएं, बल्कि बड़े अफसर भी बनें। पति के जाने के बाद पत्नी हीरा ज्याला ने उनका सपना साकार करने का बीड़ा उठाया और इसमें सफल भी हुईं। आज शहीद कृष्ण सिंह का एक बेटा नौसेना में लेफ्टिनेंट है तो दूसरा एनडीए में चयनित होने के बाद आर्मी ट्रेनिंग के दौर से गुजर रहा है।
देश पर कुर्बान हो जाना सौभाग्य:
हीरा बताती हैं कि सेना कृष्ण सिंह का पहला और आखिरी प्यार थी। वह छुट्टी पर भी आते तो बच्चों को सेना के ही किस्से सुनाते। हमेशा यही कहते कि मातृभूमि की रक्षा में कुर्बान हो जाओ, इससे बड़ा सौभाग्य क्या होगा? बेटे सैन्य अफसर बनें, इस बाबत दोनों का दाखिला घोड़ाखाल के सैनिक स्कूल में करवा दिया। 2013 में जब बड़े बेटे सूरज का एनडीए में चयन हो गया तो उनकी खुशी का ठिकाना न था।
हीरा ज्याला कहती हैं, ‘सबकुछ ठीक चल रहा था। अचानक 2015 की एक रात ‘ऑपरेशन रक्षक’में उनके शहीद होने की खबर आई। मुझे लगा कि मेरी दुनिया ही उजड़ गई। पर मैंने मन में ठान रखी थी कि दोनों बेटों को फौज में भेजने की पति की अधूरी ख्वाहिश जरूर पूरी करूंगी। इसलिए हिम्मत जुटाई और बेटों में देशसेवा का जज्बा बढ़ाया। 2016 में छोटे बेटे नीरज का भी एनडीए में चयन हो गया। तब कई लोगों ने कहा, ‘दूसरे बेटे को तो सेना में मत भेजो!’इस पर मैंने जवाब दिया, ‘यह मेरे पति का सपना था। मैं दोनों बेटों को देशसेवा करते हुए देखना चाहती हूं।’
डॉक्टर बनकर श्रद्धांजलि दी
मुजफ्फरपुर की रश्मि प्रिया 23 साल की थीं जब उनके पति मेजर मुकेश कुमार श्रीलंका में उग्रवादियों से लड़ते हुए शहीद हो गए। रश्मि ने हार नहीं मानी। खुद तो डॉक्टर बनीं ही, बेटी को भी टॉपर बनाया।
महिलाओं का जीवन संवार रहीं
पिथौरागढ़ की 19 वर्षीय कंचन की शादी को एक साल भी नहीं बीते थे कि पति हरीश देशसेवा करते हुए शहीद हो गए। कंचन ने न सिर्फ सास को संभाला बल्कि कई महिलाओं का जीवन संवार रही हैं।