कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और एम्स रायचूर, सिंचाई योजनाओं, गन्ना एमएसपी संशोधन और बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे सहित प्रमुख राज्य परियोजनाओं के लिए लंबे समय से लंबित धनराशि और मंजूरी जारी करने की मांग करते हुए एक विस्तृत पांच-सूत्रीय याचिका सौंपी।
याचिका के अनुसार, मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वे “रायचूर में एम्स की स्थापना, गन्ने की कीमतें तय करना, बाढ़ राहत के लिए 2100 करोड़ रुपये की धनराशि जारी करना तथा प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं के लिए धनराशि जारी करना सुनिश्चित करें।” मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रमुख सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं के लिए केंद्र से लंबित धनराशि प्राप्त करने के लिए प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप का अनुरोध किया। याचिका में केंद्रीय जल आयोग को बैलेंसिंग डैम परियोजना के लिए लंबित धनराशि जारी करने का निर्देश देने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री ने “कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण-2 में पिछले एक दशक से लंबित एक राजपत्र अधिसूचना जारी करने और केंद्रीय बजट 2023-24 में घोषित भद्रा ऊपरी नदी परियोजना के लिए 5300 करोड़ रुपये जारी करने” की भी मांग की है।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कलासा-बंडूरी परियोजना के तहत हुबली-धारवाड़ क्षेत्र को पेयजल उपलब्ध कराने के लिए वन एवं वन्यजीव पर्यावरण विभाग से बकाया राशि जारी करने की मांग की है। उन्होंने बाढ़ से हुए नुकसान के लिए 2,136 करोड़ रुपये के मुआवजे की भी मांग की। भारी बारिश के कारण फसलों और बुनियादी ढाँचे के नुकसान को उजागर करते हुए, याचिका में कहा गया है कि 14.5 लाख हेक्टेयर फसलें नष्ट हो गईं, जिससे 19 लाख किसान प्रभावित हुए। हज़ारों घर, सड़कें और स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए।
मुख्यमंत्री ने इनपुट सब्सिडी में कमी को पूरा करने के लिए ‘संरक्षण और राहत’ के तहत 614.9 करोड़ रुपये और क्षतिग्रस्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के पुनर्वास और पुनर्निर्माण के लिए 1521.67 करोड़ रुपये मांगे हैं। मुख्यमंत्री ने जल जीवन मिशन के तहत लंबित बकाया राशि का भुगतान करने की भी मांग की। याचिका में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि कर्नाटक को 2025-26 के अंत तक जल जीवन मिशन के तहत 13,004.63 करोड़ रुपये मिलने बाकी हैं। 2024-25 में देय 3,804.41 करोड़ रुपये में से, राज्य को केवल 570.66 करोड़ रुपये ही मिले हैं, जिससे सरकार को 7,045.64 करोड़ रुपये अग्रिम रूप से जारी करने पड़े हैं। याचिका में कहा गया है, “वर्ष 2025-26 में इस योजना के तहत केंद्र द्वारा कोई धनराशि जारी नहीं की गई है।” इसमें कहा गया है कि
कर्नाटक ने पहले ही 1,500 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं और 1,700 करोड़ रुपये के बिल लंबित हैं।
जेजेएम को ग्रामीण पेयजल के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम बताते हुए मुख्यमंत्री ने मांग की कि “जल जीवन मिशन योजना के तहत राज्य को मिलने वाली धनराशि का केंद्रीय हिस्सा तुरंत जारी किया जाए।”
उन्होंने गन्ना मूल्य निर्धारण के लिए एक स्थायी समाधान की भी माँग की। मुख्यमंत्री ने गन्ना किसानों के सामने आ रही आर्थिक तंगी को उजागर करते हुए कहा कि चीनी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 31 रुपये प्रति किलोग्राम पर स्थिर कर दिया गया है, जिससे मिलों के लिए किसानों को भुगतान करना मुश्किल हो रहा है।मुख्यमंत्री ने केंद्र से एम्स के प्रस्ताव को मंजूरी देने का आग्रह करते हुए कहा कि, “जिले में एम्स जैसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान की स्थापना के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है, जिसमें भूमि की उपलब्धता, कनेक्टिविटी और स्थानीय प्रशासन से समर्थन शामिल है।”राज्य ने पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को एम्स रायचूर के लिए मंजूरी मांगने हेतु एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है।

