Sulakshana Pandit | X
बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित (Sulakshana Pandit) का 71 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह बीते कुछ समय से बीमार चल रही थीं. गुरुवार रात मुंबई के नानावटी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की पुष्टि उनके भाई और मशहूर संगीतकार ललित पंडित ने की. इस दुखद खबर के बाद फिल्म और संगीत जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. सभी ने उनकी कला, सादगी और मधुर आवाज को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी.
बचपन से ही सुरों से नाता
1954 में जन्मीं सुलक्षणा पंडित एक प्रतिष्ठित संगीत परिवार से ताल्लुक रखती थीं. महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज उनके चाचा थे. उनके भाई जतीन-ललित ने भारतीय संगीत में अपनी अलग पहचान बनाई. सुलक्षणा ने सिर्फ 9 साल की उम्र में संगीत की दुनिया में कदम रख दिया था और 1967 में प्लेबैक सिंगिंग की शुरुआत की.
उनके गाए गीतों ने लाखों दिलों में जगह बनाई. फिल्म ‘संकल्प’ के गीत ‘तू ही सागर है, तू ही किनारा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला. उन्होंने हिंदी के अलावा कई भाषाओं में भी अपनी आवाज दी और कई दिग्गज गायकों के साथ यादगार गीत गाए.
अभिनय में भी छाया उनका जलवा
सुलक्षणा ने सिर्फ गानों तक ही खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि 1970 और 80 के दशक में बतौर अभिनेत्री भी खूब नाम कमाया. उन्होंने संजीव कुमार, राजेश खन्ना, शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे बड़े सितारों के साथ काम किया. उलझन, अपनापन, खानदान, चेहरे पे चेहरा और समाधान जैसी फिल्मों में उनके अभिनय को काफी सराहा गया.
उनकी लोकप्रियता बंगाली सिनेमा में भी बढ़ी और उन्होंने महान अभिनेता उत्तम कुमार के साथ फ़िल्म ‘बंदी’ में काम किया.
प्यार और दर्द की अनकही कहानी
सुलक्षणा पंडित का निजी जीवन संघर्षों से भरा रहा. उन्होंने कभी शादी नहीं की. कहा जाता है कि उनका दिल अभिनेता संजीव कुमार के लिए धड़कता था, लेकिन यह प्रेम कहानी पूरी नहीं हो पाई. इस अधूरी भावनात्मक यात्रा ने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया.
बढ़ती उम्र के साथ स्वास्थ्य समस्याओं और आर्थिक कठिनाइयों ने उन्हें और भी अकेला कर दिया. फिर भी, उन्होंने कभी कला का दामन नहीं छोड़ा.
सुरों की विरासत हमेशा ज़िंदा रहेगी
उनका आखिरी संगीत योगदान 1996 में फ़िल्म ‘खामोशी: द म्यूज़िकल’ के गाने में सुना गया, जिसमें उनका आलाप आज भी दिलों में बसता है. सुलक्षणा पंडित ने अपने सुर और अभिनय से भारतीय सिनेमा को एक खास पहचान दी.
आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी मधुर आवाज और खूबसूरत यादें हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में गूंजती रहेंगी.

