कोलकाता, 2 नवंबर : पश्चिम बंगाल के एक प्रवासी मजदूर के परिवार ने रविवार को दावा किया कि चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने की घोषणा के बाद तमिलनाडु में काम के दौरान वह वह बीमार पड़ गया और उसकी मौत हो गई. गुरुवार को तमिलनाडु में प्रवासी मजदूर बिमल संत्रा (51) की मौत हो गई थी. शनिवार शाम उसका पार्थिव शरीर पूर्वी बर्धमान जिले के जमालपुर स्थित उसके गांव नवग्राम पहुंचा. तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा नेता अभिषेक बनर्जी के निर्देश पर पार्टी नेताओं ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की और अपनी संवेदना व्यक्त की.
परिवार ने बताया कि बिमल काम के सिलसिले में तमिलनाडु गया था. 26 अक्टूबर को उसकी तबियत बिगड़ गई और उसे वहां के अस्पताल में भर्ती कराया गया. गुरुवार को इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई. पिता की मृत्यु की खबर मिलने के बाद उसका बेटा बापी संत्रा तमिलनाडु चला गया. उन्होंने तमिलनाडु के तंजावुर स्थित ओराथानाडु पुलिस स्टेशन में अप्राकृतिक मौत का मामला भी दर्ज कराया है. बापी संत्रा ने दावा किया कि उनके पिता कुछ दिन पहले काम के सिलसिले में तमिलनाडु गए थे और पश्चिम बंगाल में एसआईआर लागू होने की बात सुनकर चिंतित हो गए थे. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “मेरे पिता इस बात को लेकर चिंतित थे कि अगर एसआईआर लागू हुआ तो उनका नाम मतदाता सूची में होगा या नहीं. वह बार-बार यही कहते थे. इसी डर से मेरे पिता बीमार पड़ गए. इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई.” यह भी पढ़ें : अश्विनी वैष्णव से मिले CM हिमंत बिस्वा सरमा, असम में रेल नेटवर्क के विस्तार और कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर
बिमल के शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार को हुआ. शनिवार शाम को शव गांव पहुंचने के बाद इलाके में शोक की लहर छा गई. खबर मिलते ही जमालपुर से तृणमूल कांग्रेस विधायक आलोक कुमार और अन्य तृणमूल नेता बिमल के घर गए. विधायक ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने राज्य में मनरेगा का काम लगभग ढाई साल से बंद कर रखा है. इसलिए कई लोग अपनी आजीविका कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जा रहे हैं. टीएमसी नेता ने यह भी दावा किया कि प्रवासी मजदूर एसआईआर के बारे में सुनकर चिंतित थे. तृणमूल सूत्रों के अनुसार, अभिषेक बनर्जी के निर्देश पर जिला अध्यक्ष रवींद्रनाथ चटर्जी और राज्य मंत्री स्वप्न देबनाथ ने भी बिमल के गांव का दौरा किया. स्वप्न देबनाथ ने कहा कि इसके लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है.
तृणमूल कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि एसआईआर की घोषणा के बाद से लोग दहशत में जी रहे हैं, उन्हें डर है कि कहीं उनका नाम पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची से न हटा दिया जाए. कुछ दिन पहले, उत्तर 24 परगना जिले के पानीहाटी निवासी प्रदीप कर ने एसआईआर के डर से आत्महत्या कर ली थी. पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें एक ‘सुसाइड नोट’ मिला है जिसमें यही बात लिखी है. इस बीच, कूचबिहार जिले के दिनहाटा निवासी खैरुल शेख ने कथित तौर पर इसी मुद्दे से डरकर जहर खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. बीरभूम जिले के इलम बाजार में एक वृद्ध व्यक्ति द्वारा एसआईआर के डर से आत्महत्या करने का भी आरोप लगाया गया. हालांकि, प्रवासी मजदूर की मौत के मामले में स्थानीय भाजपा ने दावा किया कि यह संभव नहीं है कि मजदूर की मौत एसआईआर के डर से हुई हो. भाजपा के जमालपुर-1 मंडल अध्यक्ष प्रधान चंद्र पाल ने कहा, “कोई भी मौत दुखद होती है. बिमल की मौत एसआईआर के कारण नहीं हुई. उसकी मौत अन्य कारणों से हुई. गांव में अपनी पकड़ खो चुकी तृणमूल इसके विपरीत कह रही है और एसआईआर को उसकी मौत का कारण बता रही है.”
                        
                        

