Depo-Provera: एक नए अध्ययन के अनुसार, डेपो-प्रोवेरा (Depo-Provera) का उपयोग करने वाली महिलाओं में धीमी गति से बढ़ने वाले ब्रेन ट्यूमर (Brain Tumor) होने का खतरा अधिक होता है. यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब इस गर्भनिरोधक के निर्माता ‘फाइजर’ (Pfizer) पर सैकड़ों मुकदमे चल रहे हैं, जिनमें दावा किया गया है कि उसे संभावित जोखिमों के बारे में पता था. डेपो-प्रोवेरा-डिपो मेड्रोक्सीप्रोजेस्टेरोन एसीटेट (डीएमपीए) का ब्रांड नाम- में सिंथेटिक प्रोजेस्टिन हार्मोन होता है, जो गर्भावस्था को रोकने के लिए अंडाशय को अंडाणु मुक्त करने से रोकता है.
ये इंजेक्शन, जिनका इस्तेमाल लगभग 4 में से 1 यौन रूप से सक्रिय अमेरिकी महिला किसी न किसी समय करती है, लगभग तीन महीने तक चलते हैं. नए अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 61 मिलियन से अधिक महिला रोगियों के रिकॉर्ड की जांच की, जिसमें पाया गया कि डीएमपीए का उपयोग करने वाली महिलाओं में मेनिन्जियोमा का निदान होने का जोखिम उन महिलाओं की तुलना में दोगुना अधिक था, जो हार्मोनल जन्म नियंत्रण का उपयोग नहीं करती थीं.
मेनिन्जियोमा (Meningioma)आमतौर पर सौम्य होता है, लेकिन ट्यूमर नसों या मस्तिष्क संरचनाओं पर दबाव डालकर समस्याएं पैदा कर सकते हैं. यह रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है, संभवतः महिला हार्मोन के प्रभाव के कारण जो ट्यूमर के विकास को बढ़ावा दे सकते हैं.
क्लीवलैंड क्लिनिक (Cleveland Clinic) और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी (Western Reserve University) के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं ने 31 साल की उम्र के बाद डीएमपीए (DMPA) लेना शुरू किया या चार साल से ज्यादा समय तक इसका इस्तेमाल किया, उनमें मेनिंगियोमा का खतरा सबसे ज्यादा था.
इस अध्ययन में, [डीएमपीए] लेने वाली महिलाओं में मेनिंगियोमा के बाद के निदान का सापेक्षिक खतरा ज्यादा था, खासकर लंबे समय तक इसके संपर्क में रहने और ज्यादा उम्र में दवा शुरू करने पर अध्ययन के लेखकों ने JAMA न्यूरोलॉजी में लिखा.
यह शोध अवलोकनात्मक था, अर्थात इसने यह प्रमाण नहीं दिया कि डीएमपीए मेनिन्जियोमा का कारण बनता है. मेड्रोक्सीप्रोजेस्टेरोन एसीटेट को शुरू में 1954 में एंडोमेट्रियोसिस, गर्भाशय फाइब्रॉएड और अन्य स्त्रीरोग संबंधी स्थितियों के इलाज के लिए संश्लेषित किया गया था.
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कैंसर के खतरों की चिंताओं के कारण कई वर्षों तक गर्भनिरोधक के रूप में डेपो-प्रोवेरा के इस्तेमाल को अस्वीकार कर दिया था. अंततः 1992 में अतिरिक्त अध्ययनों और अन्य देशों में गर्भनिरोधक के रूप में इसके इस्तेमाल के बाद इसे मंजूरी दी गई.
चिंताएं यहीं नहीं रुकीं. 2004 में इसके लेबल पर एक ‘ब्लैक बॉक्स’ चेतावनी जोड़ी गई, जिससे उपयोगकर्ताओं को सचेत किया गया कि इससे हड्डियों के खनिज घनत्व में उल्लेखनीय कमी आ सकती है, खासकर लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर.
फिर पिछले साल, द बीएमजे में प्रकाशित एक फ्रांसीसी अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं ने एक साल से ज्यादा समय तक डेपो-प्रोवेरा का इस्तेमाल किया, उनमें मेनिंगियोमा विकसित होने का जोखिम 5.6 गुना ज्यादा था.
अब, फाइज़र डेपो-प्रोवेरा से संबंधित 1,200 से ज़्यादा संघीय मुकदमों का सामना कर रहा है, जिसमें महिलाओं का आरोप है कि दवा कंपनी ने उन्हें मेनिंगियोमा के खतरे के बारे में चेतावनी नहीं दी.
लुइसियाना की एक वादी, रॉबिन फिलिप ने कहा कि उन्हें इंट्राक्रैनियल मेनिंगियोमा हो गया था, जिसके कारण उनकी बाईं आंख की रोशनी चली गई और उन्हें चलने में भी दिक्कत हुई.
फिलिप और अन्य वादियों का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील एलेन रेल्किन ने एनबीसी न्यूज को बताया- इन सभी महिलाओं को मेनिंगियोमा है. कई की सर्जरी हुई है, कुछ को रेडिएशन थेरेपी दी गई है, और इन सभी के जीवन पर गहरा असर पड़ा है।.
एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फिलिप के मुकदमे में दावा किया गया है कि 1983 से प्रोजेस्टेरोन और मेनिंगियोमा को जोड़ने वाले अध्ययन मौजूद हैं, इसलिए फाइजर को डेपो-प्रोवेरा के जोखिमों का पहले ही अध्ययन कर लेना चाहिए था. फाइजर के एक प्रतिनिधि ने द पोस्ट को बताया कि ‘ये दावे निराधार हैं और हम इन आरोपों का पुरजोर बचाव करेंगे’ यह भी पढ़ें: Contraceptive Injection for Men: पुरुषों के लिए आया गर्भनिरोधक इंजेक्शन, ICMR ने 303 शादीशुदा लोगों पर किया टेस्ट; मिला ये रिजल्ट
एनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, फाइजर ने अगस्त में मुकदमे को खारिज करने के लिए एक याचिका दायर की, जिसमें डेपो-प्रोवेरा और मेनिंगियोमा के बीच संभावित संबंध की 2023 में हुई खोज का हवाला दिया गया.
कंपनी ने कहा कि उसने FDA से लेबल पर चेतावनी अपडेट करने का अनुरोध किया था, लेकिन एजेंसी ने अनुरोध अस्वीकार कर दिया क्योंकि उपलब्ध अध्ययन चेतावनी का समर्थन नहीं करते.
फाइजर ने द पोस्ट को बताया कि वह ‘डेपो-प्रोवेरा की सुरक्षा और प्रभावकारिता के पक्ष में है, जिसका उपयोग दुनिया भर में लाखों महिलाओं द्वारा किया गया है और यह अपने प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की इच्छुक महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण उपचार विकल्प बना हुआ है.’

