जगदलपुर : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज बस्तर दौरे पर हैं. दोपहर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह बीएसएफ के विशेष विमान से जगदलपुर के दंतेश्वरी एयरपोर्ट पहुंचे. एयरपोर्ट पर बीजेपी नेताओं ने अमित शाह का स्वागत किया. दंतेश्वरी एयरपोर्ट से केंद्रीय गृहमंत्री सीधे मां दंतेश्वरी देवी के मंदिर उनके दर्शनों के लिए पहुंचे। मां दंतेश्वरी की पूजा अर्चना के बाद गृहमंत्री अमित शाह मुरिया दरबार में शामिल हुए। दरअसल मुरिया दरबार, बस्तर दशहरा की प्रमुख रस्म है. इस रस्म में रियासत काल में बस्तर के राजा दरबार लगाकर अपनी जनता की समस्याओं को सुनते थे. मौके पर ही उनका निपटारा किया जाता था. तब से ये परंपरा चली आ रही है, जिसे आज भी प्रतिकात्मक तौर पर निभाया जाता है. जब बस्तर में राजशाही थी, तब से मुरिया दरबार में राजा द्वारा निर्धारित 80 परगना के मांझी ही उन्हें अपने क्षेत्र की समस्याओं से अवगत कराते हैं.

दरबार के मंच पर आम लोगों और माझी समुदाय के प्रतिनिधियों ने अपनी समस्याएँ गृहमंत्री के समक्ष रखीं। सुकमा जिले के अमीरगढ़ नक्सल प्रभावित क्षेत्र के एक युवक से अमित शाह ने सीधे बातचीत कर नक्सल समस्या के निदान की अपील की। पारंपरिक नेतृत्व (माझी, चालकी, मुखिया) के साथ संवाद में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और युवाओं ने बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर — बिजली, सड़क, शिक्षा तथा नौकरी के अवसरों की माँग दोहराई। अर्जुन कर्मा ने युवाओं के लिए रोजगार के सुझाव दिए और NMDC के बैलाडीला व अन्य परियोजनाओं में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने का प्रस्ताव रखा।
अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि नक्सली विकास में रोड़ा डालते हैं. उन्होंने नक्सलियों से आह्वान किया कि वे हथियार डाल दें, सरेंडर करें, जो सरेंडर करेगा उसको 50 हजार के साथ अन्य सुविधाएं मिलेगी. अमित शाह ने यह भी कहा कि नक्सल घटनाओं और मुठभेड़ में आम जनता, पुलिस जवान और नक्सली भी मारे गए हैं और ये सभी अपने लोग ही हैं. एक एक गांव को नक्सल मुक्त होने पर 1 करोड़ का विकास कार्य होगा. शाह ने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने आदिवासी, दलित व पिछड़ा समाज के विकास को फोकस पर रखा है. बस्तर का युवा डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य अधिकारी बनें, नए युवा नक्सलवाद से न जुड़े और जुड़े लोगों को समझाने की अपील उन्होंने ग्रामीणों से की है. शाह ने कहा कि नक्सल क्षेत्रों में अस्पताल, स्कूल खुल रहे हैं, मोबाइल टॉवर लग रहे हैं.
नक्सल मुक्त हो रहे हैं गांव: अमित शाह ने कहा कि धीरे धीरे कर नक्सल प्रभावित गांव नक्सल हिंसा से मुक्त हो रहे हैं. शाह ने कहा कि नक्सल मुक्त होने वाले गांवों में एक एक करोड़ खर्च कर विकास कार्यों को बढ़ाया जा रहा है. गांव गांव तक डिजिटल क्रांति की लहर पहुंचाई जा रही है. सीएम साय ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. डिप्टी सीएम और गृहमंत्री का प्रभार देख रहे विजय शर्मा ने कहा कि नक्सलवाद के खात्मे तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी.
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने संबोधन में कहा कि बस्तर व छत्तीसगढ़ के लिए यह सौभाग्य की बात है कि केंद्रीय गृहमंत्री सीधे आकर समस्याएँ सुनने आएं। उन्होंने कहा कि गृहमंत्री और मां दंतेश्वरी के आशीर्वाद से नक्सलवाद समाप्ति की दिशा में ठोस काम हो रहा है और लक्ष्य रखा गया है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का बीड़ा उठाया गया है। मुख्यमंत्री ने क्षेत्रीय विकास के कई आंकड़े भी साझा किए — माडिया सराय के लिए पिछले साल 5 लाख दिए गए थे, जिया डेरा के लिए 75 लाख की स्वीकृति मिली है और महोत्सव का बजट 25 लाख से बढ़ाकर 50 लाख किया गया है।
अमित शाह ने बस्तर के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा कि 2026 तक कोई भी गांव बिना बिजली के नहीं रहेगा, और 2031 तक हर गांव में स्कूल, बैंकिंग सुविधाएँ और पीएचसी/सीएचसी जैसी संस्थाएँ खुलाने का केंद्र सरकार लक्ष्य रखती है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सड़क, टेलीफोन और अन्य बुनियादी सुविधाएँ नक्सलवाद के कारण बाधित हुई हैं, इसलिए पहले सुरक्षा-समस्या का समाधान आवश्यक है। गृहमंत्री ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के हर नक्सलमुक्त किए गए गांव को ₹1 करोड़ का अनुदान दिया जाएगा और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बस्तर के आदिवासी परिवारों को 15,000 आवास देने का लक्ष्य बताया गया।
शाह ने समुदाय से समन्वय और समझौते का आह्वान करते हुए कहा कि हिंसा से किसी का भला नहीं है और सरकार अकेले सब कुछ नहीं कर सकती — इसलिए स्थानीय नेतृत्व, माझी और चालकी को समाज में नक्सलवाद से युवाओं को हटाने व विकास योजनाओं का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए आगे आना होगा। उन्होंने सभी से नक्सलवाद उखाड़ फेंकने के अभियान में सहयोग की अपील की और मंच पर उपस्थित जनों ने भी बस्तर की खुशहाली व लाल आतंक के समाप्त होने की कामना व्यक्त की।
कार्यक्रम में मौजूद जनप्रतिनिधियों और स्थानीय नेताओं ने आशा जताई कि केंद्र और राज्य के सामंजस्यपूर्ण प्रयासों से नक्सलवाद का प्रभाव कम होगा और विकास की रोशनी बस्तर के हर गांव तक पहुंचेगी।


