नई दिल्ली: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) इन दिनों बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों से जूझ रहा है. हजारों लोग मीरपुर, मुजफ्फराबाद, कोटली, रावलकोट और नीलम घाटी की सड़कों पर उतरे. ये आंदोलन तब तेज हुआ जब अवामी एक्शन कमेटी (AAC) और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच बातचीत विफल हो गई. AAC ने “शटर डाउन और व्हील जाम हड़ताल” का आह्वान किया, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी ठप हो गई. AAC के नेता शौकत नवाज मीर ने कहा कि यह आंदोलन किसी संस्था के खिलाफ नहीं बल्कि जनता के बुनियादी अधिकारों की लड़ाई है. उन्होंने कहा, “70 साल से हमें हमारे अधिकार नहीं मिले. अब बहुत हो गया.”
विदेश मंत्रालय का सख्त बयान
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने PoK की स्थिति पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा दशकों से किए जा रहे शोषण और दमन का यह सीधा नतीजा है. MEA ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि उसने इस क्षेत्र के संसाधनों का लगातार दोहन किया और स्थानीय जनता को बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा.
MEA ने कहा, “पाकिस्तान को अपने भयावह मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. PoK भारत का अभिन्न हिस्सा है और उस पर पाकिस्तान का कब्ज़ा अवैध है.”
पाकिस्तानी बलों की गोलीबारी और जनहानि
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षाबलों ने निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिसमें कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए. बाज़ार बंद हैं, सार्वजनिक परिवहन ठप है और पूरे क्षेत्र में भारी सुरक्षा तैनात है.
क्यों नाराज है PoK की जनता?
प्रदर्शनकारियों ने एक 38 सूत्रीय चार्टर पेश किया है, जिसमें दशकों की उपेक्षा और टूटे वादों का दर्द झलकता है. इन मांगों में शामिल हैं-
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- सस्ती दर पर आटा, चीनी और घी
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- स्थानीय जलविद्युत परियोजनाओं से सस्ती बिजली
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- किसानों के लिए न्यायपूर्ण नीतियाँ
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- व्यापारियों के लिए टैक्स में राहत
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- युवाओं के लिए रोजगार के अवसर
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- स्कूल, अस्पताल और अधूरी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएँ पूरी करना
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- आपदा प्रभावित परिवारों के लिए आवास
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- न्यायपालिका में सुधार और भ्रष्टाचार पर लगाम
भारत का साफ संदेश
भारत ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि PoK पर पाकिस्तान का कब्ज़ा गैरकानूनी है और वहां हो रहे उत्पीड़न को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया जाना चाहिए. विदेश मंत्रालय ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान अब अपने किए पर जवाबदेह ठहराया जाए.

