रायपुर। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने देश भर के 54 निजी विश्वविद्यालयों को नोटिस जारी किया है। ये संस्थान यूजीसी के निर्धारित सेल्फ पब्लिक डिस्क्लोजर नियमों का पालन नहीं कर रहे थे। आयोग ने जून 2024 में सभी निजी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया था कि वे अपनी पूरी जानकारी यूजीसी को भेजें और इसके लिए एक विशेष फार्मेट भी प्रदान किया गया था। यूजीसी का कहना है कि इन नियमों का उद्देश्य विश्वविद्यालयों की पारदर्शिता बढ़ाना और छात्रों, अभिभावकों और अन्य हितधारकों को
विश्वविद्यालयों
के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध कराना है। आयोग ने स्पष्ट किया था कि इसमें विश्वविद्यालय का मुख्यालय, आधिकारिक वेबसाइट, ईमेल आईडी, प्रमुख अधिकारियों की जानकारी, विश्वविद्यालय कब स्थापित हुआ, कितने कॉलेज इससे जुड़े हैं, विश्वविद्यालय में चलने वाले कोर्स, यूजी और पीजी स्तर पर छात्रों की संख्या, विभिन्न वर्गों से छात्रों का विवरण, परीक्षा की स्थिति और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों की जानकारी शामिल होगी। हाल ही में जारी की गई सूची में छत्तीसगढ़ के तीन विश्वविद्यालय शामिल हैं, जिनके बारे में जानकारी पूरी तरह से नहीं भेजी गई। इन विश्वविद्यालयों में शामिल हैं:
देव संस्कृति विश्वविद्यालय, नरदहा ग्राम सांकरा कुम्हारी, दुर्ग,महर्षि प्रबंधन एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मंगला, बिलासपुर, यूजीसी ने इन विश्वविद्यालयों को नोटिस भेजकर कहा है कि वे जल्द से जल्द निर्धारित फार्मेट के अनुसार अपनी जानकारी जमा करें। यदि विश्वविद्यालय समय पर आवश्यक जानकारी नहीं देंगे तो आयोग कानूनी और नियामक कार्रवाई कर सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सेल्फ पब्लिक डिस्क्लोजर नियमों का पालन न करना गंभीर मामला है। यह न केवल विश्वविद्यालय की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि छात्रों और अभिभावकों के लिए भी परेशानियां पैदा करता है। यूजीसी के अनुसार, निजी विश्वविद्यालयों की जानकारी सार्वजनिक होना इसलिए जरूरी है ताकि छात्र सही निर्णय लेकर उच्च शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय चुन सकें।
छत्तीसगढ़ में निजी विश्वविद्यालय तेजी से बढ़ रहे हैं और इनकी संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। ऐसे में यूजीसी का यह कदम छात्रों और माता-पिता के हित में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है। आयोग ने यह भी चेतावनी दी है कि जो विश्वविद्यालय समय पर जानकारी नहीं देंगे, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और पंजीकरण रद्द करने की संभावना भी हो सकती है।छत्तीसगढ़ के शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के नोटिस से विश्वविद्यालयों को अपनी शैक्षणिक और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेने की प्रेरणा मिलेगी। इसके अलावा, यह छात्रों के लिए भी जानकारी का एक विश्वसनीय स्रोत उपलब्ध कराएगा।
यूजीसी ने यह भी स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य किसी विश्वविद्यालय को दंडित करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि सभी विश्वविद्यालय नियमों और निर्देशों का पालन करें। इससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और छात्र अनुभव में सुधार होगा।इस बार जारी नोटिस के बाद अब सभी तीन छत्तीसगढ़ी विश्वविद्यालयों को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी जानकारी आयोग को भेजनी होगी। आयोग ने यह जानकारी दी है कि यदि विश्वविद्यालय इस निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो उनकी मान्यता संबंधी समीक्षा और अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।