
Ladakh demanding Sixth Schedule | X/@AdityaRajKaul
लेह अपेक्स बॉडी (Leh Apex Body) ने सोमवार को घोषणा की कि वह केंद्र सरकार के साथ आगामी वार्ता में हिस्सा नहीं लेगी. LAB ने मांग की है कि 24 सितंबर को हुई गोलीबारी की निष्पक्ष न्यायिक जांच की जाए, जिसमें चार लोग मारे गए और करीब 90 लोग घायल हुए. इस वार्ता का अगला दौर 6 अक्टूबर को निर्धारित था. LAB और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने केंद्र से माफी की मांग की है, जिन्होंने लद्दाखी प्रदर्शनकारियों को ‘एंटी-नेशनल’ और ‘पाकिस्तान के हाथ में खेलने वाला’ बताया था. दोनों संगठन लद्दाख के राज्यत्व और संवैधानिक सुरक्षा (सिक्स्थ शेड्यूल) की मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
सरकार की नीतियों पर सवाल
KDA के नेता सज्जाद कारगिली ने कहा कि सुरक्षा बलों की कार्रवाई और गोलीबारी में घायल लोगों की संख्या इस बात का उदाहरण है कि लोकतंत्र में जवाबदेही कितनी जरूरी है. उन्होंने निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की. लेह में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किए गए प्रसिद्ध पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuck) की गिरफ्तारी ने क्षेत्र में आक्रोश को और बढ़ा दिया है.
लेह अपेक्स बॉडी केंद्र से नहीं करेगी बात
Leh Apex Body announces it will stay away from talks with High Powered Committee of Home Ministry till normalcy is restored in Ladakh pic.twitter.com/XhBxQQ4hGr
— Press Trust of India (@PTI_News) September 29, 2025
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से बढ़ा संघर्ष
NSA के तहत गिरफ्तार वांगचुक को जोधपुर जेल में स्थानांतरित किया गया है. उनके समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी ने लद्दाख के संघर्ष को पूरे देश में प्रमुख बना दिया है. वांगचुक की पत्नी गितांजलि अंगमो ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक था और हिंसा तब शुरू हुई जब CRPF ने कार्रवाई की.
लद्दाख की मांगों को नजरअंदाज करना होगा खतरनाक
LAB और KDA ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि लद्दाख की राज्यत्व और संवैधानिक सुरक्षा की मांगों की अनदेखी की गई, तो इससे लोगों में असंतोष और अलगाव की भावना बढ़ रही है. कारगिली ने कहा, “लद्दाख के लोग इस देश की ताकत हैं, उन्हें दीवार के किनारे पर नहीं धकेलना चाहिए.”
केंद्रशाषित प्रदेश बनने से नहीं हुआ फायदा
2019 में अनुच्छेद 370 रद्द होने के बाद लद्दाख को यूटी बनाया गया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया ने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया.