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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पराली जलाने की समस्या पर बहुत सख़्त रुख अपनाया है. अदालत ने सुझाव दिया है कि जो किसान पराली जलाने के निर्देशों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें गिरफ्तार भी किया जा सकता है. इसका मकसद किसानों को ऐसा करने से रोकना और गंभीर वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना है.
सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने कहा कि किसान देश की खाद्य सुरक्षा के लिए बहुत ज़रूरी हैं, लेकिन इसका बहाना बनाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले काम नहीं किए जा सकते.
अदालत अब इस मामले में कड़े कदम उठाने पर विचार कर रही है. इसमें जुर्माना बढ़ाने से लेकर किसानों को गिरफ्तार करने और जेल भेजने जैसे प्रावधान शामिल हो सकते हैं. अदालत का मानना है कि बार-बार आदेश देने के बावजूद ज़मीनी स्तर पर कोई खास सुधार नहीं हुआ है.
सरकारों की ढिलाई पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसी राज्य सरकारों से सवाल किया कि वे पराली जलाने वाले किसानों पर सख़्त कार्रवाई क्यों नहीं कर रही हैं. इस पर पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं.
किसान जानबूझकर जला रहे पराली?
इस सुनवाई में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई. अदालत की मदद कर रहीं वकील अपराजिता सिंह ने बताया कि सरकार की ओर से मदद और मशीनें दिए जाने के बाद भी हालात नहीं बदले हैं. उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि किसान तब पराली जलाते हैं, जब सैटेलाइट ऊपर से नहीं गुज़र रहा होता, ताकि वे पकड़े न जाएं. इससे पता चलता है कि यह गलती से नहीं, बल्कि जानबूझकर किया जा रहा है.
अब ‘गाजर और छड़ी’ दोनों की नीति
कोर्ट ने साफ़ किया कि अब “गाजर और छड़ी” दोनों की नीति अपनानी होगी. इसका मतलब है कि जो किसान बात मानें, उन्हें सरकार मदद और प्रोत्साहन दे (गाजर), लेकिन जो नियम तोड़ें, उन्हें सज़ा भी मिले (छड़ी).
फिलहाल कोर्ट ने अपना आखिरी फैसला नहीं सुनाया है. संबंधित राज्यों को अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है, जिसके बाद अगली सुनवाई में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है.

