बिलासपुर। रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज रायपुर को रिश्वत के बदले अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट प्रस्तुत करने में मदद करने के आरोप में जेल में बंद तीन आरोपियों ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। आरोपियों में डॉ. चैत्रा एमएच श्रीधर, डॉ. रविचंद्रन और मयूर महेंद्रभाई रावल शामिल हैं। तीनों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में राहत की गुहार लगाई है। बुधवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा की सिंगल बैंच में इस मामले की सुनवाई हुई। सीबीआई ने
न्यायालय
के आदेश के अनुसार 28 अगस्त 2025 को जवाब दाखिल किया, जिस पर याचिकाकर्ताओं को प्रत्युत्तर प्रस्तुत करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मनोज परांजपे, अर्पण वर्मा और हर्षवर्धन परघानिया ने पक्ष रखा। वहीं सीबीआई की ओर से अधिवक्ता बी. गोपा कुमार और हिमांशु पांडे ने कोर्ट में अपना पक्ष प्रस्तुत किया। उल्लेखनीय है कि 25 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट ने सीबीआई को रिटर्न दाखिल करने हेतु दो सप्ताह का समय दिया था, जिसे बुधवार को पूरा किया गया।
रिश्वत कांड का पूरा मामला
दरअसल, सीबीआई ने “श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च, नवा रायपुर, छत्तीसगढ़” के अधिकारियों, निरीक्षण दल में शामिल डॉक्टरों और अन्य बिचौलियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए आयोजित वैधानिक निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर कर अवैध रूप से अनुकूल रिपोर्ट प्रदान की गई। निरीक्षण दल के सदस्य, जिनमें डॉ. चैत्रा एमएच श्रीधर और डॉ. रविचंद्रन शामिल हैं, कथित रूप से रिश्वत लेकर निरीक्षण प्रक्रिया को प्रभावित कर रहे थे। वहीं, गीतांजलि यूनिवर्सिटी, उदयपुर राजस्थान के कुलसचिव मयूर महेंद्रभाई रावल पर भी शामिल होने का आरोप है।
सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि कुल 55 लाख रुपये की रिश्वत की रकम का लेन-देन बेंगलुरु में किया गया था। जैसे ही रकम का लेन-देन हुआ, छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सीबीआई का आरोप है कि निरीक्षण रिपोर्ट को प्रभावित करने के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल किया गया और बिचौलियों के माध्यम से निरीक्षण दल को प्रभावित कर प्रक्रिया में हेरफेर की गई। आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया।
जमानत याचिका और अदालत की प्रक्रिया
जेल में बंद इन तीनों आरोपियों ने अलग-अलग जमानत याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी। बुधवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सीबीआई ने अपने जवाब में कहा कि मामला गंभीर है और जमानत दिए जाने से जांच प्रभावित हो सकती है। अदालत ने मामले को सुनते हुए याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। न्यायालय अब प्रत्युत्तर के आधार पर अगली सुनवाई में फैसला करेगा।
मामले का प्रभाव और आगे की कार्रवाई
यह मामला राज्य में मेडिकल शिक्षा संस्थानों की मान्यता प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी को लेकर कई सवाल खड़े कर रहा है। सीबीआई की जांच के बाद मेडिकल निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर की आशंका का खुलासा हुआ है। मामले में जमानत याचिका पर फैसला आने तक तीनों आरोपी न्यायिक हिरासत में रहेंगे। कोर्ट की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि आरोपियों को राहत दी जाएगी या नहीं। यह घटना न केवल चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार की ओर ध्यान खींचती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकारी निरीक्षण प्रक्रिया में कड़ी निगरानी की आवश्यकता है। प्रशासन और न्यायपालिका की कार्रवाई से यह संदेश दिया जा रहा है कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, छात्रों और अभिभावकों में भी इस घटना को लेकर चिंता बढ़ गई है। जांच पूरी होने और न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ने तक यह मामला चर्चा का केंद्र बना रहेगा।

