मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी। जिले के अंबागढ़ चौकी में शनिवार शाम उस समय हड़कंप मच गया जब पांगरी गांव के एक होटल व्यवसाय से जुड़े परिवार की महिलाएं और उनकी दो नाबालिग पोतियां थाने परिसर में खुद पर पेट्रोल डालकर आत्मदाह करने पहुंचीं। निर्मला बाई साहू (52 वर्ष), उनकी बहू तनेश्वरी साहू (29 वर्ष), बेटी केसरिया साहू (21 वर्ष) तथा 8 वर्षीय प्राची और 7 वर्षीय हुमांशी साहू जैसे मासूम बच्चों का इस तरह आत्मदाह का प्रयास करना पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया।
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिसकर्मी और पत्रकार मौके पर पहुंच गए। पेट्रोल से पूरी तरह भीगे परिवार को समय रहते रोक लिया गया, अन्यथा बड़ी त्रासदी घट सकती थी। घटना की शुरुआत उस समय हुई जब परिवार ने थाने में आकर बताया कि उनके साथ गांव के कुछ दबंगों ने अन्याय किया है। आरोप है कि उनके निजी जमीन पर बनी दुकान जबरन बंद करवाई गई। साथ ही सामाजिक बहिष्कार कर उन्हें हुक्का-पानी तक से वंचित कर दिया गया। बच्चों को स्कूल में बातचीत से रोका गया और उन्हें शिक्षण संस्थानों से बाहर करने की कोशिश की गई।
परिवार का कहना है कि कई बार प्रशासन से न्याय की गुहार लगाने के बावजूद कोई राहत नहीं मिली। महिला आयोग, मानव अधिकार आयोग और पुलिस में शिकायतें देने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इसी हताशा ने उन्हें आत्मदाह जैसे कठोर कदम की ओर धकेला। मौके पर पहुंचे एसडीओपी ताजेश्वर दीवान ने घटनास्थल का जायजा लिया। उन्होंने निष्पक्ष जांच और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। रात में पीड़ित महिलाओं के बयान दर्ज किए गए, लेकिन मीडिया को कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई।
इस घटना ने जिले में प्रशासनिक उदासीनता और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ समय पहले केंद्रीय राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने जिले के प्रशासन की तारीफ करते हुए कलेक्टर को पत्र लिखा था, लेकिन उसके बाद यह घटना सामने आने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। क्षेत्रवासियों का कहना है कि यदि परिवार को समय रहते न्याय मिला होता तो आत्मदाह जैसी घटना नहीं घटती। यह मामला अब जिले में “गुड गवर्नेंस” की अवधारणा को चुनौती दे रहा है। लोगों में आक्रोश है कि शिकायतों के बावजूद दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना केवल एक परिवार की व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बहिष्कार, प्रशासनिक लापरवाही और न्याय की असफल व्यवस्था का गंभीर उदाहरण है। अब प्रशासन के सामने चुनौती है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई कर परिवार को न्याय दिलाया जाए और जिले में विश्वास का माहौल बनाया जाए।

