मुंबई: गणेशोत्सव के मौके पर बुधवार को शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) अपने चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे (Raj Thackeray) से मिलने उनके नए घर पहुंचे. यह उनकी पहली मुलाकात थी जब से राज ठाकरे नवंबर 2021 में अपने नए निवास में शिफ्ट हुए हैं. उद्धव ठाकरे के साथ उनकी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे. बीते महीने राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर उनसे मुलाकात की थी. वहीं जुलाई में दोनों नेता एक मंच पर आए थे, जब उन्होंने राज्य सरकार के उस फैसले का विरोध किया था जिसमें प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य करने की बात कही गई थी. यह संकेत था कि ठाकरे परिवार में पुनर्मिलन की कोशिशें तेज़ हो रही हैं.
पारिवारिक मुलाकात या राजनीतिक संकेत?
शिवसेना (UBT) के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि यह मुलाकात भले ही पारिवारिक थी, लेकिन इसका राजनीतिक महत्व भी काफ़ी है. आने वाले मुंबई नगर निगम चुनाव को देखते हुए यह मुलाक़ात गठबंधन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
दो दशकों से नाकाम रही कोशिशें
पिछले 20 सालों में कई बार दोनों ठाकरे नेताओं को एक करने की कोशिशें हुईं लेकिन हर बार यह नाकाम रहीं. 2024 विधानसभा चुनावों में शिवसेना (UBT) और MNS दोनों का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जिसके बाद से ही दोनों दलों के बीच मेल-मिलाप की बातें तेज़ हुई हैं.
राजनीतिक समीकरणों पर असर
2019 में जब आदित्य ठाकरे ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब MNS ने उनके खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारा था. वहीं 2023 में उद्धव गुट के महेश सावंत ने राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे को हराया था. अप्रैल 2025 में राज ठाकरे ने एक पॉडकास्ट में कहा कि वे अपने चचेरे भाई के साथ मराठी समाज के हित में काम करने को तैयार हैं.
उद्धव-राज की संभावित एकजुटता
उद्धव ठाकरे ने भी हाल ही में कहा था कि वे महाराष्ट्र विरोधी ताकतों से दूरी बनाए रखते हुए छोटे-मोटे मतभेद भुलाने को तैयार हैं. इससे संकेत मिलता है कि दोनों नेताओं के बीच मराठी वोट बैंक को बचाने के लिए गठबंधन की जमीन तैयार हो रही है.

