(Photo : X)
Uranium Mining India: भारत सरकार देश के न्यूक्लियर पावर सेक्टर में एक बहुत बड़ा बदलाव करने की तैयारी कर रही है. अब तक यूरेनियम की खुदाई (माइनिंग), उसे विदेश से मंगाने (आयात) और प्रोसेस करने का सारा काम सिर्फ सरकारी कंपनियों के हाथ में था. लेकिन अब सरकार इस दशकों पुराने नियम को बदलकर प्राइवेट कंपनियों को भी इस क्षेत्र में आने की इजाजत देने की योजना बना रही है.
सरकार ऐसा क्यों कर रही है?
दरअसल, सरकार का लक्ष्य 2047 तक देश की परमाणु ऊर्जा (Nuclear Power) उत्पादन क्षमता को 12 गुना तक बढ़ाना है. यह एक बहुत बड़ा लक्ष्य है. अगर यह लक्ष्य पूरा हो जाता है, तो भारत की कुल बिजली जरूरतों का 5% हिस्सा न्यूक्लियर एनर्जी से आएगा.
इस बड़े लक्ष्य को पूरा करने के लिए बहुत सारे यूरेनियम ईंधन की जरूरत पड़ेगी. समस्या यह है कि भारत के पास जितना यूरेनियम का भंडार है, वह भविष्य की जरूरतों का सिर्फ 25% ही पूरा कर पाएगा. इसका मतलब है कि बाकी 75% यूरेनियम हमें दूसरे देशों से खरीदना होगा और उसे प्रोसेस करने की क्षमता भी बढ़ानी होगी.
इसी कमी को पूरा करने के लिए सरकार चाहती है कि प्राइवेट कंपनियां इस काम में आगे आएं और निवेश करें.
क्या सब कुछ प्राइवेट हो जाएगा?
नहीं. सरकार सुरक्षा से जुड़े मामलों पर अपना नियंत्रण बनाए रखेगी. यूरेनियम एक बहुत संवेदनशील पदार्थ है, इसलिए सरकार ने अब तक इसे अपने कंट्रोल में रखा था.
नई पॉलिसी के तहत भी, इस्तेमाल हो चुके यूरेनियम को दोबारा प्रोसेस करने और उससे निकलने वाले खतरनाक कचरे के प्रबंधन का काम पूरी तरह से सरकार के ही पास रहेगा. दुनिया के ज्यादातर देशों में यही नियम है.
इसके अलावा, प्राइवेट कंपनियों को न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए जरूरी कंट्रोल सिस्टम जैसे उपकरण सप्लाई करने की भी इजाजत दी जाएगी.
आगे क्या होगा?
इस बड़े बदलाव को लागू करने के लिए सरकार को खनन और बिजली से जुड़े करीब पांच कानूनों में संशोधन करना होगा. उम्मीद की जा रही है कि इस नई पॉलिसी की घोषणा इसी वित्त वर्ष में की जा सकती है.
यह खबर सामने आने के बाद देश के कई बड़े उद्योग घरानों ने इस सेक्टर में निवेश की योजना बनानी शुरू कर दी है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह सरकार का एक बड़ा और साहसिक कदम है, जो भारत के न्यूक्लियर एनर्जी प्रोग्राम को तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा.

