
मालदा: रविवार को छुट्टी होती है। छुट्टी के दिन छात्रों को बुलाया गया था। ‘सभी स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर आएंगे’, यह पहले ही घोषित कर दिया गया था। लेकिन छात्रों को रविवार को क्यों बुलाया गया था? क्योंकि स्कूल के सर और दीदी मोनी उनके साथ फिल्म देखने जाएँगे। मालदा के इंग्लिश बाज़ार शोभानगर हाई स्कूल के छात्र बेहद खुश थे। उनमें से कई उस दिन पहली बार सिनेमा देखने गए थे। वे अपनी खुशी रोक नहीं पा रहे थे। रविवार को सिनेमा हॉल ही क्लासरूम बन गया।
निर्देशक कृष्णेंदु शन्नीग्रही की फिल्म ‘तोरषा एक नदी का नाम है’ कुछ दिन पहले रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म की कहानी उत्तर बंगाल की तेज़ बहती तोरषा नदी के इर्द-गिर्द घूमती है। इस नदी के एक तरफ मछुआरे रहते हैं, दूसरी तरफ उच्च वर्ग। इन दोनों समाजों में कई अंतर हैं। लेकिन उच्च वर्गीय परिवार की एक छोटी बच्ची तोरषा इन सभी भेदभावों को नहीं समझ पाती। इसलिए उसकी दोस्ती मछुआरों की बस्ती के बबलू, पिंकी और बिलतुरा से हो जाती है।
मालदा के शोभानगर हाई स्कूल के शिक्षक हरिस्वामी दास ने कहा, “यह फिल्म दोस्ती की कहानी कहती है। हाशिये के मछुआरों और उच्च वर्ग के बीच संघर्ष के बीच भी, कैसे छोटे बच्चे प्यारे दोस्त बन जाते हैं। दरअसल, बच्चों और नदी में कोई भेद नहीं करता। इस फिल्म में बच्चों ने ही मानवता और सद्भाव का पाठ पढ़ाया है।”
स्कूल प्रशासन छोटे छात्रों को यह सिखाने के लिए यह फिल्म दिखाने की योजना बना रहा है कि उनके बीच भी इस तरह के मतभेद नहीं होने चाहिए। यह फिल्म कक्षा 7 से 12 तक के छात्रों के साथ एक शैक्षिक यात्रा के तहत दिखाई जा रही है। शिक्षक 200 छात्रों के साथ एक अलग बस में मालदा शहर के रवींद्र एवेन्यू इलाके के एक सिनेमा हॉल गए। वहाँ पूरी तरह से छुट्टी का माहौल था। पूरा सिनेमा हॉल बुक था और छात्रों को यह फिल्म दिखाई गई। वे भी फिल्म देखकर बहुत खुश हुए।

