पीएम मोदी ने अमेरिका से आर्थिक महाशक्ति को कड़ा संदेश दिया है (Photo : X)
नई दिल्ली: हाल ही में दिल्ली में कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की याद में एक अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस हुई. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बहुत बड़ी और साफ बात कही, जिसके चर्चे हर तरफ हो रहे हैं. उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि भारत अपने किसानों के हितों से कभी कोई समझौता नहीं करेगा, भले ही इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़े.
पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा, “हमारे लिए, हमारे किसानों का हित सबसे पहली प्राथमिकता है. भारत किसानों, मछुआरों और डेयरी किसानों के हितों से कभी समझौता नहीं करेगा. मुझे पता है कि हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है और मैं इसके लिए तैयार हूं. भारत इसके लिए तैयार है…”
इस बयान का आसान मतलब क्या है?
आसान शब्दों में कहें तो पीएम मोदी ने पूरी दुनिया को, खासकर अमेरिका जैसी आर्थिक महाशक्तियों को एक कड़ा संदेश दिया है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का आदेश दिया है.
पीएम मोदी के इस बयान का मतलब है कि अगर अमेरिका या कोई और देश भारत पर दबाव डालता है कि वह अपने कृषि बाजार को विदेशी कंपनियों के लिए खोल दे या किसानों को मिलने वाली सरकारी मदद (जैसे MSP) कम कर दे, तो भारत ऐसा बिल्कुल नहीं करेगा.
#WATCH | Delhi: At the MS Swaminathan Centenary International Conference, Prime Minister Narendra Modi says, “For us, the interest of our farmers is our top priority. India will never compromise on the interests of farmers, fishermen and dairy farmers. I know we will have to pay… pic.twitter.com/6NuBXZX9xr
— ANI (@ANI) August 7, 2025
“भारी कीमत चुकाने” का क्या मतलब है?
“भारी कीमत चुकाने” का मतलब है कि अगर भारत विदेशी दबाव के आगे नहीं झुकता है, तो हो सकता है कि अमेरिका भारत के सामान पर टैक्स और भी ज्यादा बढ़ा दें. इससे भारत के निर्यात (Export) पर असर पड़ सकता है और अर्थव्यवस्था को थोड़ा नुकसान हो सकता है. पीएम मोदी का कहना है कि देश इस आर्थिक नुकसान को झेलने के लिए तैयार है, लेकिन अपने करोड़ों किसानों, मछुआरों और दूध उत्पादकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगा.
कुल मिलाकर, पीएम मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब बात देश के अन्नदाताओं की आएगी, तो भारत किसी भी तरह के बाहरी दबाव के आगे नहीं झुकेगा. यह भारत की मजबूत और आत्मनिर्भर विदेश नीति का एक बड़ा उदाहरण है.

