टीम इंडिया(Photo Credits: X/ @BCCI)
India National Cricket Team vs England National Cricket Team: भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के इतिहास में कुछ जीतें सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि आत्मविश्वास की किताबों में दर्ज होती हैं. ऐसी ही दो ऐतिहासिक जीतें एक 1971 में और दूसरी ताजा 2025 में भारत ने इंग्लैंड के ओवल मैदान पर दर्ज कीं. इन दोनों मैचों में भारत ने सीरीज़ को बराबरी पर खत्म किया, लेकिन हर जीत के पीछे एक कहानी थी. एक बदलाव की, जुनून की, और भारतीय क्रिकेट के लगातार विकसित होने की. ओवल भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक प्रतीक बन चुका है. जहां जुनून, रणनीति और बदलाव की कहानियां लिखी जाती हैं. बी.एस. चंद्रशेखर से लेकर मोहम्मद सिराज तक, भारत की गेंदबाज़ी ने बार-बार यह साबित किया है कि वे किसी भी परिस्थिति में मैच का पासा पलट सकते हैं. अब जब अगली बार भारत ओवल में खेलेगा, तो दर्शक सिर्फ एक मैच नहीं देखेंगे, बल्कि उस विरासत को महसूस करेंगे जो 1971 में शुरू हुई थी और 2025 में एक नए मुकाम तक पहुंची. क्या जसप्रीत बुमराह बनते जा रहे हैं टीम इंडिया के लिए ‘अनजाने अभिशाप’? आंकड़ों में देखें उनके बिना कितनी घातक हुई टेस्ट गेंदबाज़ी
1971: जब चंद्रशेखर ने इंग्लैंड को घुटनों पर ला दिया
1971 का दौरा भारतीय क्रिकेट के लिए एक युगांतकारी पल था. इंग्लैंड में पहली बार टेस्ट सीरीज़ जीतने का सपना पूरा हुआ. बी.एस. चंद्रशेखर ने और इस सपने को साकार किया था. ओवल टेस्ट में उन्होंने 38 रन देकर 6 विकेट झटके और इंग्लैंड की दूसरी पारी को सिर्फ 101 रन पर समेट दिया. भारत ने यह टेस्ट 4 विकेट से जीता और सीरीज़ 1-0 से अपने नाम की. यह सिर्फ एक जीत नहीं थी, बल्कि यह भारत के टेस्ट क्रिकेट में आत्मनिर्भरता का ऐलान था. उस दौर में खिलाड़ियों को स्कूटर से स्टेडियम आते देखा जाता था, कोई बड़ी सुविधाएं नहीं थीं, पर जज़्बा ज़रूर था.
2025: जब सिराज ने ‘सुपरकार स्पीड’ से सीरीज़ बराबर कराई
वक्त बदला, सुविधाएं बदलीं, लेकिन ओवल की अहमियत नहीं बदली. 2025 में भारत इंग्लैंड के खिलाफ पांचवां और निर्णायक टेस्ट मैच खेल रहा था. सीरीज़ 2-2 पर थी और आखिरी मैच में दोनों टीमों की किस्मत दांव पर थी. जसप्रीत बुमराह के बिना उतरी टीम इंडिया के लिए तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज ने वो किया जो कभी चंद्रशेखर ने किया था। उन्होंने आखिरी दिन 5 विकेट लेकर इंग्लैंड की उम्मीदों को तोड़ दिया. भारत ने यह मैच मात्र 6 रन से जीत लिया और सीरीज़ 2-2 से ड्रॉ हो गई.
सिराज की गेंदों में वो धार थी जो दर्शाती है कि आज भारतीय क्रिकेट किसी एक स्टार पर निर्भर नहीं, बल्कि एक मजबूत यूनिट के तौर पर खड़ा है. आज खिलाड़ी सुपरकार में स्टेडियम आते हैं, उनके पास स्पोर्ट्स साइंस सपोर्ट, डाटा एनालिटिक्स और तकनीकी ताकत है.
क्या बदला है 1971 से 2025 तक?
| पहलू | 1971 | 2025 |
|---|---|---|
| कप्तान | अजीत वाडेकर | रोहित शर्मा |
| हीरो | बी.एस. चंद्रशेखर | मोहम्मद सिराज |
| जीत का अंतर | 4 विकेट | 6 रन |
| बॉलिंग अटैक | स्पिन-निर्भर | पेस-डॉमिनेटेड |
| टेक्नोलॉजी | न्यूनतम | अत्याधुनिक |
| दर्शक | ट्रांजिस्टर से सुनते थे | 4K लाइव स्ट्रीमिंग देखते हैं |
इन दोनों जीतों में एक समानता यह है कि भारत ने तब भी सबको चौंकाया था, और अब भी. 1971 की जीत से जहां भारतीय क्रिकेट ने ‘औपनिवेशिक मानसिकता’ को तोड़ा, वहीं 2025 की जीत बताती है कि भारत अब टेस्ट क्रिकेट का सुपरपावर बन चुका है.

