जांजगीर-चांपा। : खोखसा गांव से सामने आई ये चौंकाने वाली घटना सरकारी योजनाओं में जारी भ्रष्टाचार की पोल खोल रही है। एक ही नाम के कारण असली हितग्राही की जगह किसी और को मिल गई मकान की रकम, और अब असली लाभार्थी भटक रहा है दफ्तर-दफ्तर।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जिस गरीब को पक्का मकान मिलना था, वह आज भी कच्चे घर में रह रहा है। मामला है खोखसा ग्राम पंचायत के आश्रित गांव खैरा निवासी इतवारी दास का, जिसे एक साल पहले इस योजना में चयनित किया गया था। लेकिन हैरानी की बात ये है कि योजना की तीनों किस्तें — ₹40,000 की पहली किस्त 12 सितंबर 2024 को, दूसरी किस्त 1 जून 2025 को, और तीसरी किस्त 2 जुलाई 2025 को — उसी नाम के एक और व्यक्ति ‘इतवारी’ के खाते में ट्रांसफर कर दी गईं।
इतना ही नहीं, जियो टैगिंग की प्रक्रिया में भी तीन बार उसी गलत व्यक्ति के निर्माणाधीन मकान की फोटो अपलोड कर दी गई। जब असली इतवारी दास को कोई जानकारी नहीं मिली, तो वह जनपद पंचायत नवागढ़ पहुंचा, जहां सच्चाई का पर्दाफाश हुआ।
अब पीड़ित इतवारी दास जिला पंचायत और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर काटते हुए अपने लिए इंसाफ की मांग कर रहा है। उसका कहना है कि योजना की रकम किसी और को देकर उसे वंचित कर दिया गया, जबकि योजना में उसका नाम स्वीकृत हुआ था।
हितग्राही इतवारी दास की गुहार:
“मैंने मकान के लिए पूरे सपने देखे थे, लेकिन मेरे नाम से जारी पैसे किसी और को दे दिए गए। अब कलेक्टर से निवेदन है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और मुझे मेरा अधिकार दिलाया जाए।”


