Durg. दुर्ग। छत्तीसगढ़ की केन्द्रीय जेल दुर्ग से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक विचाराधीन बंदी से जान से मारने की धमकी देकर उसके परिवार से लाखों रुपये की अवैध वसूली की गई। इस संगठित अपराध में शामिल मुख्य आरोपी रवि विठ्ठल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला लगभग 10 महीने पुराना है, जिसमें इससे पहले तीन अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी थी। घटना का खुलासा 4 अक्टूबर 2024 को हुआ था, जब पीड़ित युवक ने सुपेला थाना में रिपोर्ट दर्ज कराई। उसने बताया कि उसका भाई बीते दो वर्षों से दुर्ग केंद्रीय जेल में बंद है। वहीं उसी जेल में हत्या के आरोप में सजा काट रहा बंदी रवि विठ्ठल अपने अन्य साथियों के जरिए मोबाइल फोन पर धमकियां दे रहा था। धमकी का लब्बोलुआब यही था। अगर पैसे नहीं दिए गए तो जेल के भीतर ही उसके भाई को मार दिया जाएगा।
इस गैंग में रवि विठ्ठल के साथ-साथ विशाल सोनी उर्फ उड़िया, परबदीप सिंह और आरोपी की मां गुरमीत कौर भी शामिल थे। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि धमकी के दबाव में उसने रवि विठ्ठल को कुल 7.95 लाख रुपये दिए, जिसमें से 5 लाख रुपए नकद और 2.95 लाख रुपए विभिन्न खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए थे। इतना ही नहीं, आरोपी ने 11 जुलाई 2023 को अपनी बेटी के जन्मदिन के बहाने एक सोने की चेन और लॉकेट (कीमत 22,800 रुपये) जबरन मंगवाया। पीड़ित ने यह गहना भी अपनी जान की सलामती के लिए भिजवाया। इसके अलावा, 19 जुलाई 2023 को दुर्ग कोर्ट परिसर में भी धमकी देकर 5 लाख रुपये की नकद वसूली की गई, जिसे आरोपी की मां गुरमीत कौर और भाई परबदीप ने लिया।
इस मामले में पुलिस पहले ही तीन आरोपियों—महेश्वरी बघेल, गुरमीत कौर और विशाल सोनी को गिरफ्तार कर चुकी थी। मुख्य आरोपी रवि विठ्ठल, जो पहले से ही जेल में बंद था, को 21 जुलाई 2025 को प्रोडक्शन वारंट के जरिए कोर्ट में पेश किया गया। पुलिस ने उससे पूछताछ की, जहां उसने जुर्म कबूल कर लिया। इसके बाद न्यायालय के आदेश पर उसे दोबारा राजनांदगांव जेल भेजा गया। दुर्ग एएसपी पद्मश्री तंवर ने मीडिया को बताया कि यह गंभीर मामला है और जांच अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि जेल के भीतर से अपराध संचालित करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि इस नेटवर्क में और भी लोगों की संलिप्तता की जांच की जा रही है। यह मामला राज्य की जेल सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है और प्रशासन की ओर से ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाने की जरूरत को रेखांकित करता है।

