Bihar Crime News: बिहार के एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन का एक बयान इन दिनों सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. उन्होंने कहा है कि अप्रैल से जून के बीच बिहार में हत्याएं इसलिए बढ़ती हैं क्योंकि इस दौरान किसान बेरोजगार रहते हैं. उनके मुताबिक जैसे ही बरसात शुरू होती है और खेती का काम शुरू होता है, अपराध अपने आप कम हो जाते हैं. अब इस बयान को लेकर जनता और सोशल मीडिया पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग इसे पुलिस की साफगोई मान रहे हैं, तो कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या हर अपराध का कारण किसान ही हैं? खासकर हाल के गोपाल खेमका हत्याकांड जैसे मामलों में तो किसानों का कोई कनेक्शन ही नहीं दिखता.
गर्मी में किसान बेरोजगार, इसलिए बढ़ती हैं हत्याएं?
#WATCH | Patna: Bihar ADG (HQ) Kundan Krishnan says, “Recently, a lot of murders have happened in the whole of Bihar. Most murders happen in the months of April, May and June. This continues until the rains come, as most farmers do not have work. After the rains, people in the… pic.twitter.com/b1OsUEWGTr
— ANI (@ANI) July 17, 2025
किसानों को सीधे-सीधे अपराधी बताया!
लोगों का कहना है कि ये बयान किसानों को सीधे-सीधे अपराधी बताने जैसा है. क्या सिर्फ इस तर्क के भरोसे अपराध को समझा और रोका जा सकता है?
पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने अब एक स्पेशल सेल बनाई है जो पुराने शूटरों और कॉन्ट्रैक्ट किलर्स पर नजर रखेगी. लेकिन सवाल उठता है कि क्या अपराध रोकने के लिए पुलिस को सिर्फ मौसम और बेरोजगारी के आंकड़ों पर भरोसा करना चाहिए?
बयानों में थोड़ी सावधानी जरूरी
वैसे कई रिसर्च में ये जरूर सामने आया है कि गर्मी बढ़ने से गुस्सा और हिंसा की प्रवृत्ति बढ़ती है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हर किसान बेरोजगारी में हत्या कर बैठता है.
पुलिस जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे अफसरों को अपने बयानों में थोड़ी सावधानी जरूर रखनी चाहिए. क्योंकि ऐसे बयानों से आम जनता और खासकर किसानों के बीच गलत संदेश जा सकता है, जिससे पुलिस पर भरोसा कमजोर पड़ सकता है.

