सरयू, त्रिवेणी संगम और गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान, पूजन और गुरु वंदना के साथ अपनी आस्था प्रकट की।
Guru Purnima : नई दिल्ली। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरूवार 10 जुलाई 2025 को अयोध्या, प्रयागराज और वाराणसी में श्रद्धा और भक्ति का अनुपम संगम देखने को मिला। सरयू, त्रिवेणी संगम और गंगा घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त से ही स्नान, पूजन और गुरु वंदना के साथ अपनी आस्था प्रकट की।
अयोध्या के सरयू तट पर गूंजे गुरु वंदना के जयकारे-
अयोध्या धाम में गुरु पूर्णिमा का पर्व इस बार ऐतिहासिक उत्साह के साथ मनाया गया। तड़के से ही सरयू नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। भक्तों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ स्नान कर मां सरयू का आशीर्वाद लिया। मठ-मंदिरों में गुरुओं के दर्शन और सत्संग के लिए लंबी कतारें लगी रहीं। हर-हर महादेव और जय गुरु देव के जयकारों से सरयू तट गूंज उठा।
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम में आस्था का जनसैलाब-
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर भी गुरु पूर्णिमा के दिन भक्तों का हुजूम उमड़ा। गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में देश भर से आए श्रद्धालुओं ने स्नान कर पुण्य अर्जित किया। स्नान के बाद दान-दक्षिणा और सत्संग में हिस्सा लेने के लिए भक्त अपने गुरुओं और मठों की ओर रवाना हुए। प्रशासन ने सुरक्षा के लिए घाटों पर पुलिस और स्वयंसेवकों की तैनाती की थी। स्थानीय श्रद्धालु राकेश त्रिपाठी ने कहा, गंगा स्नान और गुरु का आशीर्वाद लेना आत्मा को शांति देता है। यह दिन हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
वाराणसी के गंगा घाटों पर श्रद्धा अटल, बाबा विश्वनाथ के दर्शन को उमड़े भक्त-
काशी के दशाश्वमेध और अन्य गंगा घाटों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। बढ़ते गंगा जलस्तर के बावजूद भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं दिखी। कई श्रद्धालु जल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देते और गंगा जल से पूजन करते नजर आए। प्रशासन ने एनडीआरएफ और जल पुलिस की टीमें तैनात कर सुरक्षा सुनिश्चित की। स्नान के बाद भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़े।
गुरु पूर्णिमा का महत्व-
पुरोहित गोपाल दास ने बताया, गुरु पूर्णिमा गुरु की महिमा का उत्सव है। गुरु वह मार्गदर्शक हैं, जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। यह पर्व न केवल गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, बल्कि आत्मिक जागृति और साधना का भी प्रतीक है।
देश भर में गुरु पूर्णिमा का यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम बनकर उभरा। प्रशासन ने सभी तीर्थ स्थलों पर सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

