
Kolkata – प्राथमिक विद्यालयों की 32 हजार नौकरियों को बर्खास्त करने के मामले में इस बार हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश के कारण प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक बने और अपनी नौकरी गंवाने वाले पैराटीचर्स की ओर से खंडपीठ में बहस शुरू हो गई है। एकल पीठ के आदेश को खारिज करने की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि पैराटीचर्स लंबे समय से शिक्षकों के समान ही कम वेतन पर स्कूल चला रहे हैं। एकल पीठ को उनके साथ और अन्य नौकरी पाने वाले शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए था। सोमवार को उनके वकील ने न्यायमूर्ति तपोब्रत चक्रवर्ती की खंडपीठ में आरोप लगाया कि शिक्षकों का बयान सुने बिना ही उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने कहा कि जिस तरह अन्य लोग मामले में शामिल नहीं थे, उसी तरह पैराटीचर्स भी मामले का हिस्सा नहीं थे, इसलिए उनके बयान नहीं सुने गए। पैराटीचर्स से लेकर प्राथमिक शिक्षकों तक शिक्षण में कार्यरत लोगों के वकील ने कहा, ‘इतनी सारी जिंदगियां जुड़ी हैं। एकल पीठ के एकतरफा आदेश का क्या मतलब है! हमें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। हम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। नहीं तो हम भी धरना पर बैठ जाते।’
वकील ने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों के 10 प्रतिशत पद पैराटीचर्स के लिए आरक्षित हैं। अगर इन पदों पर पैराटीचर्स की नियुक्ति नहीं होती है तो यह अन्य पदों पर लागू नहीं होता। इसी तरह से नौकरियां सृजित की गईं।
भूमि खो चुके कोटे के तहत नौकरी पाने वाले शिक्षकों ने भी इस दिन बहस की। उनके वकील ने कहा, “मेरे मुवक्किलों को भूमि खो चुके वर्ग के तहत नौकरी मिली है। परिवारों ने अपनी जमीन सरकारी काम के लिए दी है।”
संबंधित प्रमाण पत्र जमा करने के बाद उन्हें नौकरी मिल गई। कोटा भी चिन्हित किया गया। मालदा और मुर्शिदाबाद में इस श्रेणी में कई पद खाली पड़े थे। इस कोटे में रिक्तियों की तुलना में आवेदक कम थे। योग्यता परीक्षण का सवाल अप्रासंगिक है।’ खंडपीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।

