आजकल पेमेंट करने से लेकर वाई-फ़ाई से जुड़ने तक, रेस्टोरेंट का मेन्यू देखने से लेकर किसी वेबसाइट पर जाने तक, हर जगह हम QR कोड स्कैन करते हैं. यह काले और सफ़ेद डिब्बों वाला पैटर्न हमारी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है. यह असल में एक तरह का एडवांस, 2D (दो-आयामी) बारकोड है. जब आप इसे अपने फ़ोन के कैमरे से स्कैन करते हैं, तो आपका फ़ोन इसके पैटर्न को एक डिजिटल भाषा में बदलता है. इस पैटर्न के अंदर वेबसाइट का लिंक, कोई टेक्स्ट, या पेमेंट की जानकारी छिपी होती है, जो स्कैन होते ही आपके सामने आ जाती है.
लेकिन यह जादू होता कैसे है? आइए इस छोटे से बॉक्स के अंदर छिपे विज्ञान को परत-दर-परत समझते हैं.
QR कोड की बनावट: हर निशान का है एक मतलब
अगर आप किसी भी QR कोड को ध्यान से देखें, तो आपको कुछ खास पैटर्न हमेशा दिखेंगे. ये सिर्फ़ डिज़ाइन नहीं हैं, बल्कि हर एक का अपना काम है.
- पोजीशन मार्कर (कोनों में बने तीन बड़े वर्ग): किसी भी QR कोड के तीन कोनों में आपको तीन बड़े वर्ग दिखाई देंगे. ये सबसे ज़रूरी हिस्से हैं. ये आपके फ़ोन के स्कैनर को बताते हैं कि यह एक QR कोड है और इसे किस एंगल से पढ़ना है. इन्हीं की वजह से आप QR कोड को उल्टा, सीधा या टेढ़ा, कैसे भी स्कैन कर पाते हैं.
- एलाइनमेंट मार्कर (एक छोटा वर्ग): तीन बड़े वर्गों के अलावा, एक छोटा वर्ग भी कहीं बीच में होता है. अगर QR कोड बड़ा या थोड़ा मुड़ा हुआ हो, तो यह मार्कर स्कैनर को सीधा पढ़ने में मदद करता है.
- डेटा (बाकी के छोटे-छोटे काले-सफ़ेद डिब्बे): इन मार्करों के अलावा जितने भी छोटे-छोटे काले और सफ़ेद डिब्बे हैं, वही आपका असली डेटा हैं. हर काला डिब्बा कंप्यूटर की भाषा में 1 और हर सफ़ेद डिब्बा 0 को दर्शाता है. इन्हीं 1 और 0 के पैटर्न में आपकी सारी जानकारी (वेबसाइट का लिंक, नाम, नंबर आदि) छिपी होती है.
- शांत क्षेत्र (चारों ओर की सफ़ेद पट्टी): QR कोड के चारों ओर एक सफ़ेद बॉर्डर होता है. यह “शांत क्षेत्र” (Quiet Zone) कहलाता है जो स्कैनर को यह समझने में मदद करता है कि QR कोड कहाँ से शुरू और कहाँ पर खत्म हो रहा है, ताकि वह आसपास की दूसरी चीज़ों से कंफ्यूज न हो.
स्कैन करने पर क्या होता है?
जब आप अपने फ़ोन का कैमरा QR कोड पर लाते हैं, तो यह प्रक्रिया होती है:
- आपका फ़ोन या स्कैनर ऐप सबसे पहले तीन बड़े कोनों को देखकर पहचान लेता है कि यह एक QR कोड है.
- इसके बाद, वह इन छोटे-छोटे काले और सफ़ेद डिब्बों के पूरे पैटर्न की एक तस्वीर लेता है.
- सॉफ्टवेयर इन डिब्बों को बाइनरी कोड (1s और 0s) में बदल देता है.
- इस बाइनरी कोड को डीकोड करके उस जानकारी में बदला जाता है जो असल में स्टोर की गई थी, जैसे कि एक वेबसाइट का पता या कोई मैसेज. यह पूरी प्रक्रिया पलक झपकते ही हो जाती है.
सबसे बड़ा जादू: खराब होने पर भी काम करना
QR कोड की सबसे बेहतरीन खासियत है इसकी ‘एरर करेक्शन’ (Error Correction) क्षमता. आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ QR कोड बीच से थोड़े घिसे हुए या गंदे होते हैं, या किसी कंपनी का लोगो बीच में बना होता है, फिर भी वे काम करते हैं.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि QR कोड बनाते समय जानकारी को दोहराया जाता है. यानी, डेटा का एक हिस्सा बैकअप के तौर पर कोड के अंदर ही स्टोर कर दिया जाता है. अगर कोड का 30% हिस्सा खराब भी हो जाए, तो भी स्कैनर इस बैकअप डेटा का इस्तेमाल करके पूरी जानकारी को फिर से बना लेता है और कोड सफलतापूर्वक स्कैन हो जाता है.
यह सामान्य बारकोड से बेहतर क्यों है?
पुराने ज़माने वाले लाइन वाले बारकोड सिर्फ़ थोड़ी सी संख्यात्मक जानकारी रख सकते थे. लेकिन QR कोड उनसे कहीं ज़्यादा शक्तिशाली हैं. ये ज़्यादा डेटा स्टोर कर सकते हैं (लगभग 7000 अंक), इन्हें किसी भी दिशा से स्कैन किया जा सकता है, और ये खराब होने के बाद भी काम करते रहते हैं.
तो अगली बार जब आप कोई QR कोड स्कैन करें, तो याद रखें कि आप सिर्फ एक तस्वीर नहीं खींच रहे हैं, बल्कि एक बहुत ही चालाकी से डिजाइन की गई डिजिटल पहेली को सुलझा रहे हैं, जिसमें हर एक डिब्बे का अपना एक गहरा मतलब है.

