Raipur. रायपुर। छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र को नई दिशा देने और किसानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने के लिए एक महत्त्वाकांक्षी पहल की शुरुआत हुई है। राज्य के कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने राजधानी रायपुर में “विकसित कृषि संकल्प अभियान: वैज्ञानिक सोच से खेती को दें नई उड़ान!” का औपचारिक शुभारंभ किया। इस अभियान का मूल उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती से आगे बढ़ाकर वैज्ञानिक, आधुनिक और नवोन्मेषी कृषि तकनीकों से परिचित कराना है ताकि वे कम लागत में अधिक उत्पादन कर सकें और समृद्धि की ओर अग्रसर हो सकें।
अभियान का उद्देश्य और दृष्टिकोण
“विकसित कृषि संकल्प अभियान” केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह एक सोच है — एक नई शुरुआत, एक नया विश्वास, जिसमें खुशहाल किसान और विकसित भारत की संकल्पना निहित है। इस अभियान के तहत राज्य के किसानों को उन्नत बीज, आधुनिक सिंचाई प्रणाली, जैविक खेती के लाभ, मृदा परीक्षण, कृषि यंत्रों की जानकारी और डिजिटल खेती जैसे विषयों पर जागरूक किया जाएगा। इसके साथ ही, किसानों को कृषि विज्ञान केंद्रों और विशेषज्ञों के साथ सीधे संवाद स्थापित करने के अवसर भी दिए जाएंगे।
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने कहा “अब वक्त है कि हम परंपरागत कृषि पद्धतियों के साथ-साथ वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाएं। छत्तीसगढ़ के किसान मेहनती हैं, उन्हें यदि सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और संसाधन मिलें तो वे देशभर में मिसाल बन सकते हैं। यह अभियान खेती को सम्मान और किसानों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएगा।” उन्होंने आगे कहा कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में गंभीर है और यह अभियान उसी रणनीति का हिस्सा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और अनुदानों को सरल व पारदर्शी बनाने के लिए डिजिटल माध्यमों का भी सहारा लिया जा रहा है।
क्या-क्या होंगे अभियान के अंतर्गत?
प्रशिक्षण कार्यशालाएं: ग्राम स्तर पर वैज्ञानिक खेती, ड्रिप सिंचाई, वर्मी कंपोस्ट, फसल विविधिकरण आदि पर प्रशिक्षण।
प्रदर्शन प्लॉट: मॉडल खेत जहां नई तकनीकों का प्रदर्शन कर किसान स्वयं अनुभव कर सकें।
डिजिटल हेल्पलाइन: किसानों को मोबाइल ऐप्स व टोल फ्री नंबर के माध्यम से तकनीकी सलाह।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण: खेत की मिट्टी की गुणवत्ता के अनुसार उर्वरक उपयोग की सलाह।
बीज और यंत्र सब्सिडी: प्रमाणित बीज और कृषि यंत्रों पर सरकार द्वारा प्रोत्साहन।
किसानों की प्रतिक्रिया
इस पहल को लेकर राज्य के किसानों में उत्साह है। बेमेतरा जिले के एक किसान रामप्रसाद साहू ने कहा “पहले हम जैसे-तैसे खेती करते थे, लेकिन अब वैज्ञानिक सलाह से खेती करना समझ आ रहा है। अगर सरकार साथ दे, तो हम ज्यादा उपज और मुनाफा कमा सकते हैं।” अभियान के अगले चरण में जल संरक्षण, प्राकृतिक खेती, पशुपालन और कृषक उत्पादक संगठनों (FPOs) को भी जोड़ने की योजना है ताकि किसानों को एक व्यापक और आत्मनिर्भर कृषि इकोसिस्टम प्राप्त हो सके।

