वाराणसी कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय की एक बार हो चुकी है जमानत जप्त, प्रियंका गांधी की बजाय अजय हैं PM मोदी के खिलाफ मैदान में
वाराणसी में प्रियंका गांधी की राजनीतिक एंट्री की खबरें मीडिया में चल ही रही थीं कि कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी अजय राय को घोषित कर दिया. राहुल गांधी ने प्रियंका के चुनाव लड़ने की खबरों का पटाक्षेप बुधवार को ही कर दिया था और गुरुवार को पार्टी की तरफ से अजय राय के नाम की घोषणा हो गई.
राजनीतिक करियर
स्थानीय बाहुबली के रूप में पहचान रखने वाले अजय राय पर उत्तर प्रदेश में सभी की निगाहें तब गई थीं जब 1996 में उन्होंने वाराणसी की कोलअसला विधानसभा पर कम्युनिस्ट पार्टी के 9 बार से विधायक रहे उदल को हराया था. इस जीत के बाद अजय राय पूर्वांचल की राजनीति में जाना-पहचाना नाम बन गए थे.
जब बीजेपी छोड़ सपा का दामन थामा
अजय राय वाराणसी के कोलअसला विधानसभा क्षेत्र से तीन बार (1996, 2002, 2007) बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. 2009 के आम चुनाव में अजय राय वाराणसी लोकसभा सीट से बीजेपी का टिकट चाहते थे. पार्टी ने उन्हें टिकट देने से मना किया तो वह बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. लेकिन बीजेपी के प्रत्याशी मुरली मनोहर जोशी के सामने अजय राय तीसरे नंबर आए. फिर जब यह सीट परिसीमन के बाद कोलअसला सीट खत्म कर दी गई तो 2012 में वो वाराणसी की पिंडरा सीट से विधायक बने. लेकिन अब वो समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आ चुके थे.
2014 में हुई जमानत जब्त
2014 के चुनाव में अजय राय को नरेंद्र मोदी के सामने लेकर आई थी तो उन्हें पार्टी का बड़ा कार्ड माना जा रहा था.लेकिन अजय राय की जीत का सिलसिला यहीं थम गया. 2014 में जब नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ने वाराणसी पहुंचे तो कांग्रेस को उनके सामने अजय राय सबसे मुफीद कैंडिडेट लगे. अजय राय लंबे समय से जिले में विधायक थे और उनका क्षेत्र में अच्छा-खासा प्रभाव था. लेकिन अजय राय चुनाव में अजय राय की जमानत जब्त हो गई. वो तीसरे नंबर पर आए. दूसरे नंबर अरविंद केजरीवाल थे.
2017 में दोबारा हारे अजय राय
नरेंद्र मोदी के हाथों 2014 के चुनाव में मिली करारी हार के बाद जो सिलसिला चला वो 2017 में भी जारी रहा. अजय राय कांग्रेस के टिकट पर पिंडरा सीट पर दोबारा पहुंचे. लेकिन इस बार क्षेत्र की जनता ने उन्हें नकार दिया. बीजेपी के प्रत्याशी अवधेश सिंह के सामने वो तीसरे नंबर पर आए. दूसरे नंबर पर बीएसपी के बाबूलाल आए थे.
बाहुबली छवि और राजनीति
मूलत: गाजीपुर से ताल्लुक रखने वाले अजय राय बाहुबली छवि के नेता हैं. 1994 में अपने बड़े भाई अवधेश राय की हत्या के बाद अजय राय ने बृजेश सिंह गैंग का दामन थामा था. 1991 में उनका नाम डिप्टी मेयर अनिल सिंह पर हुए हमले में आया था. केस की एफआईआर में अनिल सिंह ने कहा था कि अजय राय और कुछ सहयोगियों ने उनकी जीप पर फायरिंग की थी. बाद में राय इस केस में छूट गए थे.